विश्व (vishwa explained)

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विश्व (vishwa explained in hindi):

आम तौर पर लोग विश्व की कल्पना, पृथ्वी के सापेक्ष करते हैं जहाँ, मानवीय भौतिक विषय वस्तुओं को, विश्व की संज्ञा दी गई है| विश्व, मानव अस्तित्व के साथ साथ निरंतर बढ़ रहा है| मनुष्य का सृष्टि पर, जितना आधिपत्य होता जाएगा उतना वृहद, विश्व का दायरा कहलायेगा| पृथ्वी पर रह रहे मनुष्यों ने, एक व्यवस्था के तहत अलग अलग देशों का वर्गीकरण किया है| उसी के आधार पर जल सीमा, वायु सीमा और थल सीमा का मूल्यांकन किया गया है| जिसके संयोजित प्रारूप को विश्व में परिभाषित किया जाता है| पृथ्वी में भले ही मनुष्य को एक जीव कहा गया है लेकिन, विश्व में वही मनुष्य हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यहूदी, जैन, बौद्ध इत्यादी के रूप में विभाजित हो चुके हैं, कदाचित् यही अहंकार, मनुष्य के सर्वनाश का कारण है| जिस प्रकार परिवार में एक मुखिया होता है उसी प्रकार, विश्व में भी किसी देश को सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है| जिसका आधार, देश की अर्थव्यवस्थाओं को माना गया है| आज सभी देश एक दूसरे से किसी न किसी मुद्दे पर उलझे हुए हैं| जिससे देश के नागरिकों में भी, आपसी तनाव बढ़ता रहता है| क्या कोई भी इन मुद्दों को सुलझा नहीं सकता या यह कोई गहरा षडयंत्र है जिससे, अधिकतर मानवीय जनसंख्या पर शासन किया जा सके? आज सभी की दृष्टि, विश्व एकता पर टिकी हुई है किन्तु, कुछ अहंकारी शासक ऐसा नहीं होने दे रहे| पृथ्वी के पर्यावरण का असर इतना घातक है कि, बड़े बड़े समूह में लोगों की मृत्यु हो रही है| जीव, जन्तु, पशु-पक्षी तो, जैसे विलुप्ति की कगार पर खड़े हैं फिर भी, विश्व के सभी देश, अपने निजी स्वार्थों को छोड़ने को तैयार नहीं| हालाँकि, जानवर भी अपनी सीमाएं खींचते हैं| वह भी शिकार करते हैं किंतु, फिर भी वह आवश्यकता से अधिक की चाह नहीं रखते, वहीं मनुष्य का मन, भले ही शांति की कामना कर रहा हो, फिर भी वह माया के प्रभाव में, विषय वस्तुओं के संरक्षण में लग जाता है और संसाधनों की कमी के कारण, आपसी मतभेद उत्पन्न होते हैं जो, कई बार बड़े बड़े युद्ध का प्रारूप ले लेते हैं| विश्व को समझने के लिए, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|

  1. विश्व मतलब क्या होता है?
  2. विश्व का सबसे बड़ा देश कौन सा है?
  3. विश्व में शांति स्थापना कैसे करें?
  4. विश्व रक्षक कौन है?
  5. विश्व गुरु कौन बनेगा?
विश्व को एक आदर्श नेतृत्व की आवश्यकता है The world needs an ideal leader?
Image by 👀 Mabel Amber, who will one day from Pixabay

आज विश्व को एक आदर्श नेतृत्व की आवश्यकता है लेकिन, समस्या यह है कि, इस संसार में ऐसे बहुत कम मनुष्य होंगे जो, अपने विचारों से अधिक, सत्य को महत्व दें| चूँकि मनुष्य के विचार, उसके पूर्वाग्रह का परिणाम होते हैं अर्थात् मनुष्य जो भी सोचता है वह, अपने अतीत की सूचनाओं के आधार होता है| किंतु, इस पृथ्वी के मनुष्यों का अतीत तो, झगड़ों में ही बीता है तो, आपसी समन्वय की परिकल्पना कैसे की जा सकेगी| इसलिए एक ऐसा देश, जिसे सभी देश दिल से समर्थन दे सकें, वही अनुकूल परिस्थितियों की स्थापना कर सकता है| लेकिन, यह कैसे होगा? क्योंकि, विश्व में ऐसा कोई देश ही नहीं, जिसके निजी स्वार्थ न हो, जो किसी देश का शोषण न करना चाहता हो, या जो सर्वश्रेष्ठ बनने की कामना न रखता हो| अतः मनुष्य को समझना होगा कि, क्या हम कुछ लोगों के आधार पर, अपनी विचारधारा का चयन करेंगे या आने वाली पीढ़ी के लिए, एक आदर्श विश्व की रचना करेंगे? निम्नलिखित बिंदुओं से इसे गहराई से समझने का प्रयत्न करते हैं|

विश्व मतलब क्या होता है?

विश्व मतलब क्या होता हैः What does world mean?
Image by beasternchen from Pixabay

ब्रह्माण्ड के भौतिक स्वरूप को विश्व कहते हैं अर्थात मानव द्वारा अन्वेषित किया गया भूमंडल, वायुमंडल इत्यादि विश्व के रूप में जाना जाता है| विश्व केवल मनुष्यों की एक कल्पना मात्र है जो, प्रतिक्षण परिवर्तनीय है| जिस प्रकार चीटियों को अपने आस पास का क्षेत्र, विश्व की भांति प्रतीत होता होगा उसी प्रकार, मनुष्य भी केवल अपनी क्षमता अनुसार, विश्व की रचना कर सकता है| विश्व को सुचारु रूप से चलाने के लिए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियम बनाए गए हैं| जिन नियमों का अनुगमन सभी देश करते हैं| विश्व मनुष्य का भौगोलिक दृष्टि कोण है जिसमें, सभी भांति की विचारधाराओं का समावेश होता है| विश्व के अंतर्गत आने वाले देशों की संस्कृति, भाषा और जीवन शैली की विभिन्नताओं के बनिस्बत, सभी तकनीकी रूप से जुड़ चुके हैं|

विश्व का सबसे बड़ा देश कौन सा है?

विश्व का सबसे बड़ा देश कौन सा हैः Which is the largest country in the world?
Image by Gerd Altmann from Pixabay

किसी भी देश की स्थिति का निर्धारण, कई मानकों के आधार पर किया जाता है जिसमें, सबसे प्रमुख देश की अर्थव्यवस्था होती है| उसके उपरांत खनिज उपलब्धता, वैज्ञानिक सृजनात्मकता और शिक्षा प्रमुख रूप से उपयोगी होते हैं| हालाँकि, देश कई मानकों में बड़ा या छोटा हो सकता है जैसे, भूमिगत आधार पर, जनसंख्या के आधार पर, नैतिकता के आधार पर, खनिज सम्पदा के आधार पर इत्यादि| किंतु, यदि वास्तविक मूल्यांकन करना हो तो, सबसे बड़ा देश वही होता है जिसके, सभी नागरिक आधुनिक रूप से शिक्षित होने के साथ साथ, मानव धर्म का पालन भी करते हों| जहाँ मनुष्य के अधिकारों के साथ साथ जीव जंतु और पशु पक्षियों को भी, संरक्षित किया जाता हो| उसे ही विराट ह्रदयी देश कहा जाना चाहिए|

विश्व में शांति स्थापना कैसे करें?

विश्व में शांति स्थापना कैसे करें: How to establish peace in the world?
Image by Gerd Altmann from Pixabay

इस संसार में विभिन्न विचारधाराओं के व्यक्ति रहते हैं| जिनका एकमत हो पाना लगभग असंभव है| प्राचीन काल से मनुष्यों ने एकमत होने के लिए, धर्म को केंद्र बनाया था लेकिन, वह धर्म भी निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ कर, विभिन्न संप्रदायों में विभाजित होकर, महत्वहीन हो गया| जिसका उपयोग, मनुष्य को मनुष्यता का पाठ सिखाने के लिए किया जाना था| आज वही धर्म, विभाजन का सबसे बड़ा कारण है| मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो, अपने पूर्वाग्रह पर चलता है अर्थात मनुष्य की विचारधारा, उसके अतीत से जन्म लेती है| जिसके आधार पर, वह अपने भविष्य की परिकल्पना कर सकता है और जैसा कि, इतिहास रक्तरंजित रहा है इसलिए, सभी देशों के सत्ताधारी कहीं न कहीं, अपने नागरिकों का समर्थन प्राप्त करने के लिए, ऐतिहासिक मुद्दों को हवा देते रहते हैं जो, आपसी मतभेद को, और भी गहरा करता जाता है| विश्व शांति स्थापित करने के लिए, केवल मानव धर्म का पालन करना होगा जहाँ, मनुष्य को अपने मूल स्वाभाव, जिसे शान्ति कहते हैं उसे, प्राप्त करना होगा और अपने संबंधियों के साथ साथ जीव जंतुओं और अन्य विचारधारा के व्यक्तियों के प्रति भी करूणा भाव रखना होगा| हालाँकि, यह सब एक सपने की तरह है| मनुष्य का अहंकार इतना गहरा हो चुका है कि, वह अपने स्वार्थ के लिए, किसी भी देश का सर्वनाश कर सकता है|

विश्व रक्षक कौन है?

विश्व रक्षक कौन हैः Who is the world savior?
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जो देश, अपनी अर्थव्यवस्था और मनुष्यता को समानांतर रख सके वही, विश्व रक्षक कहलाने योग्य है| आज छोटे मोटे देशों में निरंतर आक्रमण हो रहे हैं| जहाँ पहले किसी देश में युद्ध के लिए, कई महीने लगते थे| आज विज्ञान की सहायता से रातोंरात, बड़ी से बड़ी जनसंख्या को निष्क्रिय किया जा सकता है| वस्तुतः मनुष्य एक अहंकारी जीव है| वह जब तक अपना स्वार्थ देखता है तभी तक, प्रेम प्रकट कर पाता है और जैसे ही वह शक्तिशाली हुआ, वैसे ही उसकी शोषक विचारधारा, सघन होने लगती है| आपने देखा होगा जो देश, जितना शक्तिशाली होता है वह, उतना ही अधिक छोटे देशों को, अधिग्रहण का प्रयास करता है| इस सोच का आधार, मनुष्य की अज्ञानता है जो, यह भूल चूका है कि, वह यहाँ से कुछ लेकर नहीं जा सकता| हाँ किंतु, वह चाहें तो, अपने अहंकार का त्याग करके, इस जीवन को उच्चतम आनंद तक पहुँचा सकता है| हालाँकि आर्थिक रूप से शक्तिशाली देश ही, विश्व रक्षक की भूमिका निभा सकते हैं लेकिन, यह सम्मान प्रेम भाव से ही प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि, रक्षक वह पदवी है जो, मनुष्य के श्रेष्ठतम पुरुषार्थ का प्रतीक है| अतः केवल अपने बारे में सोचने वाले व्यक्तियों का देश, विश्व रक्षक नहीं हो सकता|

विश्वगुरु कौन बनेगा?

विश्वगुरु कौन बनेगाः Who will become Vishwaguru?
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विश्वगुरु अर्थात श्रेष्ठतम देश का नेतृत्व| सभी देश केवल उसी को विश्व गुरू समझ सकते हैं जो, उनके संकट के समय उनका साथ देता हो, जिसके अंदर मतभेदों को मिटाने की क्षमता हो| जो देश, एकता की प्रतिमूर्ति हो और जिसका उद्देश्य मानवता के साथ साथ सृष्टि से समन्वय स्थापित करना हो| जो प्रकृति में उपस्थित सभी प्राणियों से प्रेम रखता हो वही देश, सम्मान का पात्र होगा| चूँकि हीन मानसिकता वाले व्यक्तियों के देश, मान्यताओं पर टिके होते हैं जो, वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनीय नहीं होते जिससे, वह केवल अपने धर्म संप्रदाय के मनुष्यों से ही स्नेह कर पाते हैं| ऐसे देश कभी सार्वजनिक तौर पर, विश्व गुरु के रूप में नहीं अपनाये जा सकते|

विश्व एक परिवार है जिसके सदस्य सभी देश हैं| भले ही प्रत्येक देश व्यक्तिगत तौर पर भिन्नता रखता हो किंतु, वास्तविकता यही है कि, हम सभी इस पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान जीव हैं| हम चाहें तो, सोशल मीडिया के माध्यम से, प्रत्येक देश के नागरिकों को इंसानियत का ज्ञान अवश्य दे सकते हैं| वर्तमान में भले ही उसका प्रभाव न पड़े लेकिन, आने वाली पीढ़ी के लिए एकता की नींव रखने का कार्य अवश्य किया जा सकता है| आज भले ही विश्व की शक्ति, चंद लोगों के हाथ में केंद्रित हो चुकी है, जो नहीं चाहते कि, विश्व शांति स्थापित की जा सके| क्योंकि, मनुष्यों का डर ही अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की कुंजी है इसलिए, कोई भी देश आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक एकता का समर्थन नहीं करता| अतः इसे व्यक्तिगत तौर पर किया जाना चाहिए, देर सवेर मनुष्य आपस में प्रेम करना सीख ही जाएगा|

 

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