भविष्य (Future facts in hindi)

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भविष्य (Bhavishya)- Future facts in hindi:

भविष्य के बारे में सोचना आम बात है किंतु, जब कुछ प्राप्ति की कामना से, हम आने वाले समय के बारे में विचार करते हैं तो, हमारा मन चिंताओं से ग्रसित हो जाता है लेकिन, क्या बिना भविष्य का आकलन किए, किसी भी कार्य को करना सही है या हमारा भविष्य ही, हमें वर्तमान के आनंद से वंचित रखता है? मानव समाज में भविष्यवाणी का प्रचलन प्राचीन काल से है| कुछ कथाएं तो, इस बात का दावा भी करती हैं कि, किसी का भविष्य बताना आम बात है| भविष्य की जानकारी हेतु कई माध्यमों का चुनाव किया जाता है| जिसका संबंध मनुष्यों की अज्ञानता से होता है और कही न कही, हमारा अज्ञान ही अंधविश्वास को बढ़ावा देता है| भविष्य के रहस्यों को समझने के लिए, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|

1. भविष्य क्या है?
2. मेरा भविष्य क्या है?
3. भविष्य की चिंता से कैसे बचें?
4. क्या भविष्यवाणी सच होती है?
5. अपना भविष्य कैसे बनाएं?

भविष्य के बारे में? about the future.
Image by Genty from Pixabay

वस्तुतः भविष्य के बारे में लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया रही है जहाँ, कुछ लोग बड़े बड़े संस्थानों के माध्यम से, भविष्य बताने का दावा करते हैं| वहीं कुछ लोग, विज्ञान का सहारा लेकर भी, भविष्य जानने के प्रयास में लगे हुए हैं किंतु, आपने देखा होगा कि, वैज्ञानिक आंकलन से प्राप्त हुई जानकारियों में सत्यता होती है और कुछ हद तक, मानव संबंधित भविष्यवाणी को भी सच पाया गया है| इसी कारण हम भविष्य से जुड़े तथ्यों को, न ही अपना पाते हैं और न ही पूर्णतः त्याग पाते हैं| हमारा मन दोनों दिशाओं की ओर भागता रहता है जहाँ, अन्धविश्वास अपना मार्ग स्थापित कर लेता है और भविष्य का भय दिखाकर, आपको भ्रमित किया जाता है तो, चलिए भविष्य की अनोखी दुनिया में|

भविष्य क्या है?

भविष्य क्या हैः what is the future?
Image by rubylia from Pixabay

भविष्य को प्रतिक्षात्मक समयावधि से प्रदर्शित किया जाता है अर्थात, वह समय जिसकी प्रतीक्षा की जा सके जो, आने वाला है उसे ही, भविष्य की श्रेणी में रखा जाता है| भविष्य वर्तमान की वह जिज्ञासा है जो, भूतकाल से ग्रसित होकर आकार लेती है चूँकि, वर्तमान में केवल ज्ञानी मनुष्य ही रह सकते है किंतु, सांसारिक मनुष्य अपने अतीत के अनुभवों से ही, अपने भविष्य की परिकल्पना कर सकते हैं लेकिन, सदैव वह सही हो यह आवश्यक नहीं| उदहारण से देखे तो, यदि कोई बच्चा निर्धन परिवार में जन्म लेकर अपना भविष्य बदलना चाहे तो निश्चित ही, उसे अच्छी शिक्षा की अनिवार्यता होगी कित्नु, साथ ही साथ उसके मनोवैज्ञानिक विचारों में परिवर्तन लाना भी आवशयक होगा अन्यथा, उच्च शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात भी, वह अपने अतीत की दुर्बलता से बाहर नहीं आ सकेगा और अपनी लाचारी छुपाने के लिए, सांसारिक स्वामित्व स्वीककार कर लेगा या पीड़ित बनकर सामाजिक विरोधात्मक कार्यवाही का समर्थन करेगा जिससे, भविष्य अत्यंत पीड़ादायक होगा|

मेरा भविष्य क्या है?

मेरा भविष्य क्या हैः What is my future?
Image by Patricio González from Pixabay

आपके जीवन का आंकलन करके, आपका भविष्य बताया जाना साधारण बात है जिसके लिए, कुछ शास्त्रीय ग्रंथों का पालन करना होगा| वस्तुतः मानव वृत्तियाँ आज भी वही है जो, प्राचीन काल में थी जहाँ, मनुष्य का उद्देश्य कुछ अर्जित करने का ही होता है और उसी से सभी प्रकार के दुखों की उत्पत्ति होती है जिन्हें, कम करने के लिए प्रत्येक मनुष्य अपना भविष्य जानना चाहता है लेकिन, वह यह नहीं समझ पाता कि, भविष्य तो वर्तमान के कर्म से तय होता है| ज्ञानी मनुष्य भलीभाँति यह बात जानते हैं कि, इन्द्रियों से संचालित होने वाले मनुष्य की अभिलाषाओं की सीमा क्या है इसलिए, वह उन्हें शारीरिक तल से हटने की सलाह देते हैं ताकि, उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सके|

भविष्य की चिंता से कैसे बचें?

भविष्य की चिंता से कैसे बचेंः How to avoid worrying about the future?
Image by Pete Linforth from Pixabay

मानव शरीर मिट्टी का बना हुआ है जो, पूर्णता बाहरी वातावरण पर आधारित है इसलिए, भविष्य की चिंता करना आवश्यक हो जाता है| सुरक्षा का भाव ही, भविष्य की चिंताओं का आधार है| अतः मनुष्य को चाहिए कि, वह मृत्यु के सत्य को स्वीकार करे और अपने मानसिक बंधनों से, मुक्ति की दिशा में आगे बढ़े तभी, चिंताओं से मुक्त हुआ जा सकता है| उदाहरण से समझें तो, यदि आप अपने विवाह की चिंता करते हैं तो, विवाह होते ही पुत्र प्राप्ति की चिंता सताने लगेगी और पुत्र का जन्म होते ही, उसके भविष्य निर्माण की अभिलाषा में, आपके निजी जीवन का आनंद विलुप्त होने लगेगा परिणामस्वरूप, स्थितियां आपके हाथ से बाहर हो जाएंगी|

क्या भविष्यवाणी सच होती है?

क्या भविष्यवाणी सच होती हैः Do predictions come true?
Image by Javier Rodriguez from Pixabay

भौतिकता से संबंधित विषय वस्तुओं के बारे में जानना विज्ञान है| जैसे मौसम की जानकारी, नदियों का जलस्तर, पेड़ पौधों का पूर्वानुमान या मनुष्य से जुड़ी बीमारियां इत्यादि जहाँ, सूक्ष्म कणों के अध्ययन से यह पता लगाया जा सकता है कि, आने वाला समय कैसा होगा किंतु, यदि बात मनुष्य के निजी जीवन की हो तो, इसके बारे में बता पाना असंभव है| वस्तुतः बचपन में भविष्य अच्छे खिलौने की कल्पना करेगा| फिर युवावस्था में काम वासना की अग्नि प्रज्वलित होने लगेगी परिणामस्वरूप, सम्बंधित व्यक्ति का संपूर्ण जीवन उसी कामवासना को केन्द्रित करके भविष्य निर्मित करने लगेगा| अब, यहाँ कोई सुख भोगेगा और किसी को निर्धनता प्राप्त होगी किन्तु, दोनों ही पक्ष अन्ततोगत्वा दुःख ही भोगेंगे| तो क्या, जो लोग हमारी भविष्यवाणी करते हैं, वह पाखंडी हैं? जी नहीं, वह भली भाँति जानते हैं कि, आप क्या सुनना चाहते हो, उसी के अनुसार वह अपना उत्तर देते हैं जहाँ, कुछ लोगों को उनके अनुसार फल प्राप्त हो जाता है तो, वह इस विषय को मौन स्वीकृति दे देते हैं और जिसे विपरीत परिणाम मिले, वह किसी और भविष्य वक्ता के द्वार पर सर झुका देता है|

अपना भविष्य कैसे बनाएं?

अपना भविष्य कैसे बनाएंः How to build your future?
Image by NoName_13 from Pixabay

प्रत्येक मनुष्य के भविष्य का निर्माण, उसके हाथ में होता है अर्थात, वर्तमान में किया गया कार्य ही, भविष्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करता है लेकिन, हम अपने भविष्य को बनाने के लिए, जिन भी माध्यमों का चुनाव करते हैं, वह बाहरी प्रभाव से नहीं बल्कि, आंतरिक ज्ञान से होना चाहिए अर्थात सर्वप्रथम मनुष्य को अपनी वास्तविकता को पहचानना चाहिए| उसे अपनी शारीरिक क्षमताओं का परीक्षण करना चाहिए| उसे अपने जीवन के शेष समय का मूल्यांकन करना चाहिए और सबसे प्रमुख, उसके काम के चुनाव में सत्यता होनी चाहिए अर्थात, जो काम मानव विकास के लिए, सकारात्मक योगदान दे सके, उसे ही सत्य की श्रेणी में गिना जाएगा|

 

वर्तमान में रहते हुए, भविष्य की कल्पना करना व्यर्थ है क्योंकि, फल प्राप्ति के लिए किया गया कोई भी कार्य, सार्थक नहीं कहा जा सकता| आपने अनुभव किया होगा कि, बचपन में आपको लगता था कि, यदि आपके पास बहुत सारे पैसे होंगे तो, आप स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खा सकेंगे या बड़े से बड़ा खिलौना आपके पास होगा जिससे, आपको ख़ुशी मिलेगी किंतु, आज वही रुपये आपको ख़ुशी नहीं दे रहे बल्कि, और अधिक धन की आवश्यकता अनुभव होने लगी है| ऐसा क्या हुआ कि, गंतव्य पर पहुँचकर भी रास्ता निरंतर बढ़ता ही जा रहा है| वस्तुतः जब भी हम A में बैठकर Z के बारे में विचार करते हैं तो, हमसे गलतियां हो जाती है क्योंकि, A की क्षमता केवल B तक सोचने की है, न कि Z के बारे में, विचार कर पाने की, हाँ यदि Z के बारे में जानना ही चाहते हो तो, आपको Y तक पहुँचना होगा| वहाँ पहुँचते ही, आप इतने सक्षम हो चुके होंगे कि, अपने वास्तविक उत्साह को पहचान सकें|

लेख के निष्कर्ष में हम यह कह सकते हैं कि, मनुष्य को अपने अहंकार को त्यागकर, एक सार्थक कर्म का चुनाव करना चाहिए तत्पश्चात् अपना जीवन उसी दिशा में, समर्पित करते ही वर्तमान आनंदित हो उठेगा फलस्वरूप, भविष्य सुनहरा हो जाएगा|

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