काम क्रोध मोह लोभ (Kaam krodh lobh moh facts in hindi):
काम ही मनुष्य के जीवन का आधार है| अधिकतर लोग काम का अर्थ वासना से जोड़कर देखते हैं जो कि, अधूरा सत्य है| मनोकामना पूर्ति से किया गया हर कार्य, काम ही कहलाता है| मनुष्य के मोह से काम की उत्पत्ति होती है| यदि काम में इच्छानुसार फल प्राप्त होने लगें तो, लोभ का जन्म होता है और इसके विपरीत, मनोकामना अधूरी रह जाए तो, क्रोध अपनी जगह बना लेता है अर्थात चारों गुण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं| इनके कुप्रभाव से बचने के लिए, सही काम का चुनाव अनिवार्य है| जिसे समझने के लिए कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|
1. काम का अर्थ क्या होता है?
2. क्रोध क्या है?
3. मोह माया क्या है?
4. लोभ क्या है?
5. सबसे अच्छा काम कौन सा है?
मनुष्य का स्वभाव चंचल होता है जिसे, कुछ न कुछ करने की आवश्यकता महसूस होती है और इसी वजह से, दिशाभ्रम उत्पन्न हो जाता है जहाँ, हम दुखों के दलदल में फँस जाते हैं और अपने क़ीमती जीवन को, निराशा और हीन भावना से ग्रसित कर लेते हैं| कभी आपने सोचा कि, दुनिया के महान संतों ने शांत बैठने को कठिन क्यों माना है? उपरोक्त बिंदुओं के माध्यम से मानवीय गुणों को समझने का प्रयास करते हैं|
काम का अर्थ क्या होता है?
शारीरिक तल से किया गया कोई भी कार्य, काम की उत्पत्ति का सूत्रधार है अर्थात, आत्म ज्ञान के बिना चुना गया कोई भी काम, वासना ही कहा जाता है| जैसे यदि कोई मनुष्य, केवल धन अर्जित करने के लिए कार्य करता है तो, वह उसकी वासना का सूचक होगा लेकिन, इसी के विपरीत कोई व्यक्ति, अर्थपूर्ण कार्य चुनकर अत्यधिक धन प्राप्त कर लें तो, इसे वासना नहीं समर्पण कहा जाएगा| अंतर सिर्फ़ हमारी विचारधारा का है| मानव अपने जीवन की उपयोगिता समझ कर, प्रार्थी भाव से किसी भी काम में समर्पित हो जाए और आगे क्या मिलेगा, इसकी परवाह किए बिना उसे करने में आनंद प्राप्त करने लगे तो, ऐसा कार्य स्वतः भक्ति की श्रेणी में आ जाएगा| प्रार्थीभाव कर्म का मतलब, सार्वजनिक हित में किया गया कार्य कहलाता है|
क्रोध क्या है?
इच्छा के विपरीत, प्राप्त हुए परिणाम से उत्पन्न दोष को क्रोध कहते हैं अर्थात, जब भी मनुष्य के मन में कामना की उपलब्धता होगी तभी, क्रोध को पनपने का मौक़ा मिलेगा| उदाहरण से समझें तो, यदि किसी व्यक्ति ने धन प्राप्ति के उद्देश्य से, विद्यालय की शुरुआत की लेकिन, उसके विद्यालय मे बच्चों की संख्या नहीं बढ़ी तो, उसे अपने निर्णय पर पछतावा होगा परिणामस्वरूप, क्रोध का जन्म होगा लेकिन, इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति ने, केवल शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से विद्यालय खोला तो, वह एक बच्चे में भी आनंद की अनुभूति करेगा जिससे, वह शांत चित्त को प्राप्त करेगा|
मोह माया क्या है?
सांसारिक विषय वस्तुओं के प्रति आसक्ति ही मोह को जन्म देती है और अज्ञानता से दिखाई देने वाला संसार माया है अर्थात, बिना स्वयं को पहचाने किसी भी प्रकार की, भौतिकता को सत्य मान लेना ही माया है और उन्हीं भौतिक विषयों से, कुछ प्राप्त करने की अभिलाषा से प्रेम करना, मोह की श्रेणी में गिना जाएगा| साधारण शब्दों में, नष्ट हो जाने वाला प्रत्येक तत्व माया है| उदाहरण से समझें तो, हमारे सभी रिश्ते माया हैं जो, द्विपक्षीय आधार पर खड़े हैं| किसी एक के जाते ही, वह रिश्ता भी हमेशा के लिए मिट जाएगा लेकिन, यदि रिश्ता ज्ञान के आधार पर बना हो तो, इसे माया नहीं कहेंगे| जैसे, श्रीकृष्ण और अर्जुन का दोस्ती का रिश्ता माया था लेकिन, जैसे ही कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण, अर्जुन के गुरु बने तो, यह माया नहीं कहलाएगा क्योंकि, यहाँ दोनों पक्ष एक दूसरे को, शरीर के तल से ऊपर समझ रहे हैं और यही भाव आत्मज्ञान का आधार है|
लोभ क्या है?
लोभ या लालच, मनुष्य का वह दुर्गुण है जिससे, दुख या क्रोध का जन्म होता है अर्थात, सांसारिक मनुष्य अपने पूर्वाग्रह से अधिक की चाह में, माया में विचरण करें तो, लोभ उत्पन्न हो जाएगा| आपने काल्पनिक कथाओं में, जिन्न का नाम तो सुना ही होगा जिसे, भूत प्रेत की श्रेणी का माना जाता है| यही जिन्न, हमारी अज्ञानता का परिचायक है| बिना कुछ सोचे, विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएँ ही, वास्तविक जिन्न है जो, आपके अंदर बैठा हुआ है| जिसे आप, अपने अज्ञान के अंधकार में देख नहीं पा रहे हैं| वह आपके जन्म के दिन से ही, आपसे जुड़ चुका था| उसकी माँगें निरंतर बढ़ रही है| यदि रूक कर उसे ग़ौर से नहीं समझा गया तो, आप यही समझते रहेंगे कि, आपकी इच्छाएँ आपके दिल से आ रही है जबकि, यह पूर्णता असत्य है|
सबसे अच्छा काम कौन सा है?
मनुष्य के लिए, वही काम सर्वश्रेष्ठ हो सकता है जिसे, मनोकामना रहित किया जाए अर्थात, फल प्राप्ति की अभिलाषा छोड़कर, सार्वजनिक हित में किया गया कार्य, कर्तव्य बन जाता है जो, प्रत्येक मनुष्य के आनंदित जीवन के लिए अति आवश्यक है|
काम और कर्तव्य में अंतर होता है| कर्तव्य की उत्पत्ति आत्मज्ञान से होती है लेकिन, काम का जन्म मनुष्य के स्वार्थ से होता है| एक उदाहरण से देखें तो, यदि कोई लड़का राजनीति में जाने का चुनाव, अपना जलवा क़ायम रखने की मनोकामना से करता है तो, वह राजनीति उसके लिए काम कहलाएगी जिसे, वासना का रूप दिया जा सकता है लेकिन, यदि वह सार्वजनिक हितों के उद्देश्य से, राजनीति का रास्ता अपनाता है तो, इसे कर्तव्य कहा जाएगा क्योंकि, ऐसे व्यक्ति के लिए राजनीति केवल, एक माध्यम होगा ताकि, श्रेष्ठ जीवन जिया जा सके|
लेख के अंत में एक विशेष बात, मनुष्य काम के बिना जीवित नहीं रह सकता है| अब यह उसका चुनाव है कि, वह इस संसार की माया से जुड़कर, किसी भी काम में फँसता रहे और दुख प्राप्त करे या संसार को माया रूपी समझ कर, उसका उपयोग एक सार्थक कर्म के लिए करे ताकि, उसका जन्म सफल हो सके|