गुरु की महिमा- Guru ki mahima

Rate this post

गुरु की महिमा- Guru ki mahima (Facts in hindi):

गुरु अर्थात वह नाव, जिसके सहारे अपने जीवन को किनारा दिया जा सकता है| गुरु की महिमा तो सर्वव्यापी है लेकिन, अपने जीवन में उपयोगी गुरु की पहचान करना, अत्यंत कठिन कार्य है क्योंकि, इस माया के संसार में प्रत्येक व्यक्ति का अपना स्वार्थ होता है और सच्चा गुरु तो, निःस्वार्थ भाव से ही जन्म ले सकता है| गुरु की, जीवन में उपयोगिता समझने के लिए, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|

1. गुरु कौन है?
2. गुरु का महत्व क्या है?
3. गुरु का धर्म क्या है?
4. क्या गुरु का होना जरूरी है?
5. गुरु कब बनाना चाहिए?
6. सच्चे गुरु की पहचान कैसे करें?

सच्चा गुरु real guru facts in hindi
Image by mooremeditation from Pixabay

गुरु कोई व्यक्ति नहीं होता बल्कि, गुरु ज्ञान का ही एक रूप है| एक साधारण व्यक्ति भले ही गुरू का महत्व न समझे किंतु, जिन भी व्यक्तियों ने विश्व में बड़े से बड़ा कार्य किया है, उनके पीछे कोई न कोई गुरु अवश्य रहा है| आप सोच रहे होंगे कि, क्या बिना गुरु के ज़िंदगी नहीं कट सकती? तो, इसका सीधा उत्तर यह है कि, आप जानवर नहीं है जो, यहाँ ज़िंदगी काटने आए हैं| आप एक मनुष्य हैं जो, बिना शिक्षा के सामान्य पशुओं की भांति ही आचरण करते रहेंगे फलस्वरूप, आपका जीवन दुखों से घिरा रहेगा और केवल गुरु का ज्ञान ही, जीवन में प्रकाश की ज्योति जला सकता है और जीवन के दुख काटने में, सहायक सिद्ध हो सकता है तो, आइए चलते हैं गुरू से सम्बंधित मुख्य बिंदुओं की ओर|

गुरु कौन है?

गुरु कौन हैः who is guru?
Image by Alana Jordan from Pixabay

गुरू एक मार्गदर्शक है जो, अपने ज्ञान के प्रकाश से, हमारे जीवन की ज्योति जलाता है हालाँकि, किसी भी तरह की शिक्षा देने वाले व्यक्ति को गुरू ही समझा जाता है लेकिन, उस ज्ञान का संबंध व्यक्ति के दुख कम करने से होना चाहिए|

गुरु का महत्त्व क्या है?

गुरु का महत्त्व क्या हैः What is the importance of Guru?
Image by Dean Moriarty from Pixabay

मनुष्य जन्म से ही, सामान्य वृत्तियों से घिरा होता है जहाँ, उसे प्रारंभिक शिक्षा के दौरान, अपने भौतिक जगत का ज्ञान आवश्यक होता है जिसके लिए, भांति भांति के संस्थान बनाए गए हैं लेकिन, आंतरिक मनोविज्ञान के लिए, गुरू अति महत्वपूर्ण है| गुरु का वास्तविक महत्व तो, केवल वही योद्धा समझ सकता है जो, अपने जीवन में हताश और निराश हो चुका हो और दोबारा उठ खड़ा हो| कहने का आशय है कि, किसी भी मनुष्य के जीवन में, गुरु की महान उपयोगिता है क्योंकि, सामान्य शिक्षा केवल और केवल भौतिक विषयों के ज्ञान तक ही सीमित है किंतु, मनुष्य भौतिकवाद से आनंद प्राप्त नहीं कर सकता| मानव एक अपूर्ण चेतना है जिसे, आत्मज्ञान की आवश्यकता होती है ताकि, वह संसार की वास्तविकता को समझ सके अन्यथा, भ्रमवश सारी आयु नकली जीवन जीते हुए ही बीत जाएगी|

गुरु का धर्म क्या है?

गुरु का धर्म क्या हैः What is the religion of Guru?
Image by Wilfried Pohnke from Pixabay

गुरु का धर्म संसार में फैले हुए अंधकार को नष्ट करना है| अंधकार अर्थात वह अज्ञान जो, मनुष्य को पशु वृत्तियों में बंधक रखता है| गुरू मान्यताओं से ऊपर उठकर, बंधनों को काटने वाला होता है क्योंकि, किसी भी तरह की मान्यताएं या धारणा हमारा सबसे बड़ा बंधन है| सभी मान्यताएँ काल सापेक्ष होती है जिनका, वर्तमान में पुनर्विचार अनिवार्य होता है और यह केवल श्रेष्ठ गुरु के माध्यम से ही किया जा सकता है| गुरु को अपने निजी स्वार्थों से नहीं बल्कि, परमार्थ से ज्ञान का प्रसार करना चाहिए| परमार्थ अर्थात सभी के हित में किया गया कार्य| यहाँ सभी का अर्थ धर्म की रक्षा से है|

क्या गुरु का होना जरूरी है?

क्या गुरु का होना जरूरी हैःIs it necessary to have a Guru?
Image by Wikimedia Commons

किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरु की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता| जिस प्रकार किसी यान को चलाने के लिए, निर्देशों की आवश्यकता होती है| उसी प्रकार मानव शरीर को, एक सार्थक दिशा देने के लिए, गुरु के निर्देश आवश्यक हैं| वस्तुतः आपने अनुभव किया होगा, जीवन में सब कुछ अर्जित करने के पश्चात भी, कुछ कमी का अनुभव बना रहता है अतः यह पूर्णतः स्पष्ट है कि आपको जीवन आनंदित करने हेतु भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता नहीं बल्कि, आत्मज्ञान की है जो, केवल गुरु के माध्यम से ही अर्जित किया जा सकता है|

गुरु कब बनाना चाहिए?

गुरु कब बनाना चाहिएः When should one become a Guru?
Image by Shutterstock.com

मानव जीवन में प्रतिक्षण मार्गदर्शन आवश्यक होता है जहाँ, प्रथम गुरु की भूमिका माँ के द्वारा निभाई जा सकती है किन्तु यह तभी संभव है जब माँ बनने के पहले स्वयं ज्ञान अर्जित किया जा चुका हो तत्पश्चात, सांसारिक जीवन की शुरुआत होती है और उसी दौरान, गुरु का दामन थाम लिया जाए तो, ज़िंदगी में वास्तविक आनंद को आमंत्रित किया जा सकता है| यहाँ आनंद का अर्थ, सांसारिक सुखों से नहीं बल्कि, जीवन के सच्चे संघर्ष से है जिसे धारण करते ही, आप युगपुरुष बनने की दिशा में बढ़ जाते हैं परिणामस्वरूप आपका जीवन का कण कण आनंदित हो उठता है|

सच्चे गुरु की पहचान कैसे करें?

सच्चे गुरु की पहचान कैसे करेंः How to identify a true Guru?
Image by Olivia John from Pixabay

ये संसार मायावी लोगों से भरा है जहाँ, विधर्मियों ने मनुष्यों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया हुआ है वस्तुतः इन्हीं में कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए मानव समाज को अज्ञानता की ओर धकेलने से भी पीछे नहीं हटते इसलिए, गुरु की पहचान करते समय सचेत रहना अनिवार्य है| एक सच्चा गुरु वही हो सकता है, जिसकी संगति में आपके दुख कम होने लगें| आपके बंधन कटने लगे| आपका अहंकार गल जाए| आपके अंदर संसार को समानता से देखने का भाव उत्पन्न हो जाए और आप सार्वजनिक हितों के लिए, वचनबद्ध हो जाए| ऐसे ही व्यक्ति को, सच्चे गुरु का स्थान दिया जा सकता है| इसके विपरीत, सांसारिक माया में उलझाने वाले गुरुओं को केवल और केवल पाखंडी ही कहा जाएगा, जिनकी संगत दुखों का आमंत्रण होगी|

 

अंत में एक विशेष बात, मनुष्य का शरीर एक गाड़ी की भांति है, जिसकी सवारी करके ही, माया रूपी अंधकार से पार पाया जा सकता है जिसे, आध्यात्मिक शब्दावली में मुक्ति कहते हैं किंतु, यहाँ सबसे बड़ा संकट यह है कि, मानवरूपी गाड़ी माया के प्रभाव में आकर, स्वचालित बन सकती है| जिसका परिणाम भयावह हो सकता है| एक सच्चा गुरु ही, आपके गाड़ी की स्टीयरिंग, आपके हाथों में पूर्ण जानकारी के साथ दे सकता है ताकि, जीवन के सफर में दुर्घटनाओं से सुरक्षित बचा जा सके|

Click for ध्यान (मेडिटेशन क्या होता है)- meditation facts in hindi

Click for भगवान- (आस्था या अंध विश्वास) is god real facts
Click for Shiv Mahima | शिव महिमा । bhagwan ki kahani

Leave a Comment