सकारात्मकता नकारात्मकता (Positive and negative thinking facts in hindi):
मनुष्य की सोच, उसके ज्ञान के आधार पर बनती है| विषय वस्तु का संपूर्ण ज्ञान, सकारात्मक सोच को जन्म देता है और अधूरा ज्ञान, नकारात्मकता की ओर मोड़ देता है| किंतु सवाल यह है कि, हम अधिक समय तक सकारात्मक क्यों नहीं रह पाते हैं? क्या कारण है कि, हमारे द्वारा चुना गया काम, कुछ दिनों बाद हमें उत्साहविहीन लगता है जहाँ, नकारात्मक सोच हमें जकड़ लेती है परिणामस्वरूप, सफलता हम से कोसों दूर पहुँच जाती है? इस बात की गहराई तक जाने के लिए, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|
1. सकारातमक सोच क्या है?
2. नकारात्मक सोच क्या है?
3. सकारात्मक सोच के नुकसान क्या है?
4. सकारात्मक सोच के फायदे क्या है?
5. नकारात्मक सोच का नुकसान क्या है?
6. व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार कब आते हैं?
7. सकारातमक सोच का प्रभाव क्या है?
8. नकारात्मक सोच कैसे दूर करें?
9. सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें?
आधारहीन सकारात्मकता व्यर्थ होती है अर्थात, बिना किसी ज्ञान के अपने आपको सकारात्मक रखना मूर्खतापूर्ण है| मनुष्य का अभ्यास और अनुभव ही, उसके जीवन में सकारात्मकता ला सकता है किन्तु, सदैव सकारात्मक रहना, हमारे लिए लाभदायी नहीं होता जिसे, निम्नलिखित बिन्दुओं से समझने का प्रयत्न करेंगे|
सकारात्मक सोच क्या है?
सकारात्मक सोच अपने अंदर के डर को छुपाने की विधि है जहाँ, असफलताओं के भय से हिम्मत हार रहे व्यक्ति को, किसी भांति प्रोत्साहित करके, पुनः कार्य में लगाया जाता है| सकारात्मक सोच की आवश्यकता, प्रत्येक उस व्यक्ति को होती है जिसे, स्वयं का ज्ञान नहीं होता और वह किसी और के द्वारा बताए गए रास्ते पर, चलने की कोशिश कर रहा होता है|
नकारात्मक सोच क्या है?
हमारी हताशा को, नकारात्मक सोच से प्रदर्शित किया जाता है| अज्ञानता से चुना हुआ रास्ता ही, नकारात्मक सोच को जन्म देता है| आपने अनुभव किया होगा कि, किसी कार्य को आप स्वयं चुनते हैं किंतु, कुछ ही समय बाद आपको वही कार्य, अनुचित लगने लगता है| यही आपकी अज्ञानता का उदाहरण है जहाँ, आपने कुछ मूलभूत नियमों का पालन किए बिना, बाह्य सकारात्मकता के आधार पर, अपने कार्य का चुनाव किया और परिणाम आपके सामने हैं|
सकारात्मक सोच के नुकसान क्या है?
सकारात्मक सोच एक पेनकिलर की भांति है जिससे, हमारी तकलीफों का स्थायी तौर पर कोई समाधान नहीं मिलता| हाँ किंतु, प्रारम्भ में कुछ हिम्मत तो मिल ही जाती है फिर चाहे, वह हमें और भी गर्त में धकेल दे| सकारात्मक सोच की आवश्यकता उसे पड़ती है जो, अर्थहीन कार्य में अपना जीवन समर्पित कर रहा हो अर्थात, जिसके काम में ही कोई सार्थकता न हो, उसी काम को करने के लिए, निरंतर सकारात्मक सोच की आवश्यकता होती है|
सकारात्मक सोच के फायदे क्या है?
सकारात्मक सोच, हमें ऊर्जा प्रदान करती है जिससे, अपने काम को करने का हौसला बढ़ता है किंतु, आत्मज्ञान के बिना सकारात्मकता भ्रमित कर सकती है अर्थात, बिना स्वयं को जानें किसी भी काम में सकारात्मकता दिखाना दुखदायी होता है|
नकारात्मक सोच का नुकसान क्या है?
नकारात्मक सोच एक तरह का संकेत है जिससे, आपको पता चलता है कि, आपके कार्य का चुनाव अनुचित है या आपको उससे संबंधित पूर्ण ज्ञान नहीं है| अतः आपने अपने अनुरूप सही दिशा का निर्धारण नहीं किया है इसलिए, आपको पुनः विचार करने की आवश्यकता है| यहाँ हम कह सकते हैं कि, नकारात्मक सोच ही सकारात्मकता की कमी का अनुभव कराती है| इसे उदाहरण से समझें तो, यदि किसी घर से दुर्गन्ध उत्पन्न हो रही है तो, इसे समाप्त करने के दो ही रास्ते हैं या तो, पूरे घर की अच्छे से सफाई की जाए या घर में सुगन्धित पदार्थ डाल दिया जाए जिससे, दुर्गन्ध का प्रभाव कम किया जा सके| यहाँ सुगन्धित पदार्थ को, आप सकारात्मक सोच से जोड़कर देख सकते हैं| अतः नकारात्मक सोच का उपचार, सकारात्मक सोच नहीं बल्कि, आपके विचारों की स्वच्छता है|
व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार कब आते हैं?
नकारात्मकता मनुष्य के जीवन का अंधकार है| जिसे मिटाने के लिए, आत्म ज्ञान का दीपक जलाना पड़ता है किंतु, यह इतना आसान नहीं है इसलिए, अधिकतर मनुष्य संसार की किसी भी विषय वस्तु को, अपने सकारात्मकता का केंद्र बना लेते हैं जो, कुछ ही समय बाद नकारात्मक सोच में रूपांतरित हो जाता है| जैसे यदि कोई व्यक्ति, पैसे को अपने दिल का केंद्र बनाकर, किसी भी काम को सकारात्मक सोच से प्रारंभ करें तो, निश्चित ही उसका मनोबल हताशा में परिवर्तित हो जाएगा| यहाँ सबसे पहले अपने कार्य की उपयोगिता पर विचार करना अनिवार्य है अर्थात बाहरी विषय वस्तुओं को केंद्रित करके, कार्य का चुनाव करना ही नकारात्मक विचारों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण है|
सकारात्मक सोच का प्रभाव क्या है?
सकारात्मक सोच मनुष्य की आँख में पड़ा हुआ पर्दा है जिसके, कुप्रभाव से हम अपनी वास्तविक स्थिति को पहचान नहीं पाते हैं और जीवन भर, अपने आपको झूठा दिलासा देने का प्रयास करते हैं| हमारा उद्देश्य आपका मनोबल तोड़ना नहीं बल्कि, आपको सच्ची सकारात्मकता समझाना है जिसे, कोई मिटा न सके जो, आपके आंतरिक ज्ञान से उत्पन्न हो और जिसकी, आवश्यकता बार बार न बनी रहे| एक स्वस्थ शरीर को किसी भांति की औषधियों की आवश्यकता नहीं होती किंतु, यदि आप अपने शारीरिक पोषण की उपेक्षा करते हैं तो, निसंदेह जीवन भर औषधियों का सहारा लेना, आपकी लाचारी बन जाता है|
नकारात्मक सोच कैसे दूर करें?
जीवन में नकारात्मकता को दूर करने के लिए, सही चुनाव अनिवार्य है लेकिन, सबसे बड़ी समस्या यह है कि, किस आधार पर यह तय किया जाए कि, कौनसा काम आपके लिए उपयुक्त है क्योंकि, यदि आप दुनिया के बताए हुए रास्तों पर चलने का प्रयास करेंगे तो प्रत्येक मनुष्य अपने स्वार्थ को देखते हुए आपका उपयोग करेगा परिणामस्वरूप नकारात्मकता का सामना अवश्य करना पड़ेगा क्योंकि, सांसारिक दृष्टिकोण से बताए हुए सभी मार्गों की एक सीमा होती है किंतु, मनुष्य की सोच अनंत तक जाने की है जहाँ, मानसिक मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं इसलिए, सबसे पहले उन सारी दिशाओं को नकारना होगा जो, बाहरी आकर्षण के आधार पर उत्पन्न हो रही हैं तत्पश्चात, अपने जीवन की महत्वता को समझना होगा तभी, आप एक सही रास्ते का चुनाव कर सकते हैं|
सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें?
उपरोक्त लेख से आप यह समझ चुके होंगे कि, सकारात्मक सोच की आवश्यकता ज्ञान की कमी के कारण उत्पन्न होती है| अतः पूर्ण सकारात्मकता के लिए, प्रत्येक मनुष्य को स्वयं के विषय में जानना होगा जिसे, आध्यात्मिक भाषा में आत्मज्ञान कहते हैं| आत्म ज्ञान ही मनुष्य को श्रेष्ठ दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है| एक आत्मज्ञानी पुरुष को, सकारात्मक सोच की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि, उसका पूरा जीवन सही दिशा में स्वतः ही बढ़ने लगता है और उसका जीवन आनंद से भर जाता है|
लेख के निष्कर्ष में हम यह कह सकते हैं कि, सकारात्मक और नकारात्मक विचार बाहरी गतिविधियों से प्रभावित होते हैं जिनका, हमारे जीवन में तब तक महत्व है जब तक, हम स्वयं के बारे में नहीं जानते अर्थात, एक रोगी व्यक्ति जब तक अपने रोग के बारे में पूर्णता जान न ले, तब तक उसका उपचार करना व्यर्थ है| यहाँ उपचार को, सकारात्मक सोच से प्रदर्शित किया गया है| मनुष्य को अस्थायी समाधान की ओर नहीं बल्कि, स्वयं का आकलन करके, तटस्थता की ओर बढ़ना चाहिए तभी, वह अपने जीवन के उच्चतर मूल्यों को प्राप्त कर सकेगा|
Click for काम क्रोध मोह लोभ (Kaam krodh lobh moh)