भगवान- (आस्था या अंध विश्वास) is god real facts in hindi (Unique information):
भगवान एक ऐसी शक्ति है जो, पूरे ब्रह्मांड को संचालित कर रही है लेकिन, भगवान की मानव जीवन में क्या उपयोगिता है, आज तक यह एक पहेली बना हुआ है| ज़्यादातर लोग, भगवान को अपनी मनोकामना पूर्ति का साधन मानते हैं| विभिन्न संप्रदायों में, भगवान को अलग अलग नामों से जाना जाता है| यहाँ तक कि, भगवानों की बनायी हुई मूर्तियां भी, क्षेत्रीय पहचान के आधार पर स्थापित की जाती है लेकिन, समय के साथ भगवान से जुड़ा हुआ अन्धविश्वास भी, बढ़ता जा रहा है जिससे, आज पूरा मानव समाज ग्रसित है| हालाँकि, भगवान से जुड़ी हुई अनगिनत कहानियां हैं जिन्हें पुराण या कथा कहा जाता है| जिनके माध्यम से, भगवान को समझने में सहायता मिलती है| फिर भी आज लोग, भगवान के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करते हैं| दोस्तों, कभी आपने सोचा कि भगवान होते हुए भी, हमारी ज़िंदगी दुखों में क्यों बीत जाती है| क्या, इसमें भगवान की गलती है या हमारी संकुचित समझ की, जिसने अपनी नादानी में, भगवान की महिमा को नज़रअंदाज़ कर दिया? इस बात की गहराई को समझने के लिए, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|
1. भगवान कौन है?
2. भगवान का जन्म कैसे हुआ?
3. भगवान से शक्ति कैसे प्राप्त करें?
4. भगवान से प्रार्थना कैसे करें?
5. भगवान से क्या मांगना चाहिए?
6. भगवान से बात कैसे करें?
7. भगवान कैसे मिलते हैं?
8. भगवान कहां रहते हैं?
9. क्या सच में भगवान होते हैं?
10. क्या मैं भगवान बन सकता हूँ?
भगवान का दायरा पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है| यह कहना ग़लत नहीं होगा कि, कण कण में भगवान समाए हुए हैं लेकिन, इतनी सी बात समझने के लिए, पूरे वेदों का स्वयं संयुक्त अध्ययन आवश्यक है अन्यथा, आपका जीवन दुखों से बाहर नहीं आ सकता है| दरअसल, हमारा जन्म ही दुख है जिसे, भगवान की अनुकंपा के बिना मुक्ति नहीं मिल सकती| मुक्ति का अर्थ, मृत्यु से नहीं बल्कि, मानवीय बंधनों से है| आइए एक एक करके, सभी प्रश्नों के माध्यम से, भगवान की सत्यता तक पहुँचने का प्रयास करते हैं|
भगवान कौन है?
वेदों के अनुसार, भगवान निराकार ब्रह्म है अर्थात जिसकी कोई कल्पना न की जा सके| जिसके रूप का वर्णन कर पाना असंभव हो| उसे ही भगवान कहा गया है और सिर्फ़ वही, सारे ब्रह्माण्ड का स्वामी है लेकिन, कई संप्रदायों ने भगवान को, मूर्ति के रूप में स्थापित किया है तो क्या वह ग़लत था?
जी नहीं! मूर्ति, अमूर्त तक जाने का एक माध्यम है| एक उदाहरण से समझें तो, आप अपने पिता की तस्वीर अपने पास रखते हैं| इसका अर्थ यह नहीं है कि, आपने अपने पिता को जेब में रख लिया, बस वह तस्वीर एक माध्यम है जिससे आप, अपने पिता को याद करते हैं और उनके साथ होने एहसास बना रहता है|
भगवान का जन्म कैसे हुआ?
जन्म और मृत्यु भौतिक शरीर से जुड़े हैं लेकिन, भगवान तो निराकार है तो, उनके का जन्म का सवाल ही पैदा नहीं होता| हाँ लेकिन, अवतारों की बात की जाए तो, उनका जन्म और मरण दोनों संभव है| जैसे श्रीराम, श्रीकृष्ण, गौतम बुद्ध इत्यादि|
भगवान से शक्ति कैसे प्राप्त करें?
दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है, मुक्ति| अर्थात यदि कोई भी मनुष्य, अपने स्वार्थों को त्यागकर, निष्काम कर्मयोगी की तरह, भगवान की उपासना करता है तो, निश्चित ही वह शक्तिशाली हो जाएगा लेकिन, यह प्रश्न मनोकामना से प्रेरित लगता है इसलिए, आपको स्पष्ट रूप से समझना होगा कि, भगवान ऐसी कोई शक्ति नहीं देते, जिसके माध्यम से, आप जादूगर बन सकें|
तो फिर इतने बड़े बड़े मंचों से लोग चमत्कारों के दावे क्यों करते हैं? दोस्तों ये दुनिया स्वार्थों से भरी हुई है जहाँ, हर किसी के अपने भौतिकवादी उद्देश्य हैं और उन्हीं की पूर्ति हेतु, कई लोग भगवान का इस्तेमाल, वर्षों से करते चले आ रहे हैं जिससे, अंधविश्वास को बढ़ावा मिलता है|
भगवान से प्रार्थना कैसे करें?
भगवान की प्रार्थना के लिए, शास्त्रों में कई तरह की विधियाँ बतायी गई है जिनमें, पूजा पाठ से लेकर यज्ञ तक सम्मिलित हैं लेकिन, सभी का उद्देश्य सिर्फ़ और सिर्फ़ मुक्ति से है अर्थात प्रार्थना का एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि, “हे भगवान, मुझे इस माया रूपी संसार को समझने के लिए, बोध प्रदान करना|” यहाँ बोध का अर्थ, यह समझ लेना है कि, यह संसार माया है हालाँकि, यह बात जितनी छोटी है, इसे समझना उतना ही मुश्किल है| हालाँकि, वेदों के गहन अध्ययन से आप इस बात की गहराई तक पहुँच सकते हैं| ज़्यादातर पुराणों और कथाओं में, भगवान की श्रेष्टता का वर्णन, बहुआयामी ढंग से किया गया है जिसे, सामान्य व्यक्ति अपने तल पर ही समझ पाते हैं|
भगवान से क्या मांगना चाहिए?
किसी भी मनुष्य के जीवन में, भगवान का उपयोग तभी है जब, वह अपने जीवन के दुखों से मुक्त हो रहा हो| इस दुनिया में बनायी गई सभी चीज़ें मानव निर्मित हैं| यदि आप इन तुच्छ भौतिक वस्तुओं के लिए, भगवान का दरवाज़ा खटखटाना चाहते हैं तो, यह आपकी सबसे बड़ी मूर्खता सिद्ध होगी| भगवान ऐसी कोई भी वस्तु प्रदान नहीं करते जो, मिथ्या हो अर्थात जिसका मिटना संभव है और प्रकृति में मौजूद हर विषय वस्तु एक न एक दिन समाप्त हो जाती हैं तो, भला उनका नाता सत्य से कैसे हो सकता है इसलिए, भगवान से पूरी विनम्रता के साथ यही माँगना चाहिए कि, वे हमें दिव्य दृष्टि प्रदान करें जिसके ज़रिए, हम इस माया के खेल को पहचान सकें ताकि, अपने जीवन के अन्धकार को मिटाते हुए, अपने दुखों पर विजय प्राप्त की जा सके|
भगवान से बात कैसे करें?
जैसा कि उपरोक्त कथन में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि, भगवान इस ब्रह्माण्ड के कण कण में वास करते हैं इसलिए, स्वाभाविक है कि वे आपके अंदर मौजूद होंगे इसलिए, भगवान से बात करने के लिए, आपको स्वयं तक पहुँचना होगा| जिसके लिए, आपको अपने सारे अहंकार मिटाने होंगे| अहंकार ही जीवन का अंधकार है जिसका सीधा संबंध, आपके दुखों से है|
भगवान कैसे मिलते हैं?
हालाँकि भगवानों से मुलाक़ात करने के लिए, बहुत से पवित्र स्थान बताए गए हैं लेकिन, यदि आप मनोकामना का भाव लेकर, उनसे मिलने जाएंगे तो, वह आपको कभी नहीं मिलेंगे| भगवान सिर्फ़ निष्काम कर्मयोगी से ही मिलते हैं अर्थात वह व्यक्ति जिसने, अपने जीवन के यथार्थ को देख लिया हो और यह समझ चुका हो कि, मृत्यु ही अंतिम सत्य है, जिसे टाला नहीं जा सकता|
भगवान कहां रहते हैं?
इंसानों द्वारा बनाए भगवान तो, आपको जगह जगह मिल जाएंगे लेकिन, उनकी दिव्यता को समझने के लिए, वेदों का अध्ययन अनिवार्य है| भगवान तो हर जगह रहते हैं लेकिन, यदि वास्तव में भगवान को खोजना है तो, उन्हें केवल और केवल स्वयं के अंदर ही खोजने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि, वही सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं| जिनके मिलते ही, एक साधारण मनुष्य, अपना स्वार्थ छोड़कर, अवतार बनने की दिशा में बढ़ने लगता है|
क्या सच में भगवान होते हैं?
जिस तरह की कल्पना, ज़्यादातर इंसानों ने की है, बेशक़ भगवान वैसे नहीं होते| भगवान की सच्चाई समझना तो, बोध की बात है और बोध, बिना प्रभु की कृपा के संभव नहीं हो सकता| अब बात आती है, फिर भगवानों के नाम पर, बड़े बड़े मंदिरों का निर्माण क्यों किया गया है? दोस्तों, वैसे तो पूरी दुनियाँ ही भगवान की है तो, उनके लिए मंदिर बनाने की क्या आवश्यकता? दरअसल, मनुष्य का जीवन, सपने की तरह होता है जिसका, सच्चाई से कोई वास्ता नहीं अर्थात, स्वार्थी मनुष्यों द्वारा किए गए सभी कार्य, निरर्थक होते हैं जो, कुछ ही समय उपरांत नष्ट हो जाते हैं|
इस संसार में चारों तरफ़ माया फैली हुई है जिसके, छल को काटने के लिए, मंदिरों का निर्माण किया गया था लेकिन, मनुष्यों की लालच ने वहाँ भी मनोकामना पूर्ति का आसरा ढूँढ लिया| मंदिरों का इतिहास बहुत पुराना रहा है| मंदिर वह पवित्र स्थान हो सकते हैं जहाँ, आप सत्य के दर्शन कर सके लेकिन, मनोरंजन की दृष्टि से, अंधश्रद्धा के साथ मंदिर जाने से, कोई लाभ नहीं होगा| भगवान की सत्यता को समझने के लिए, आपको अपने झूठ को मिटाना होगा और झूठ वही अहंकार है जिसमें, आपको कुछ होने का एहसास होता है जबकि, आप कुछ नहीं है|
क्या मैं भगवान बन सकता हूँ?
आपको भगवान बनने की आवश्यकता नहीं, आप जन्म के पहले से ही भगवान हैं| हीरे के ऊपर धूल चढ़ने से, वो पत्थर नहीं बन जाता लेकिन, जैसे ही आपका संपर्क इस माया से होता है तो, आप सब कुछ भूल जाते हैं और भोग विलास में, अपना मूल्यवान जीवन व्यर्थ ख़र्च कर देते हैं जबकि, आप अच्छे से जानते हैं कि, एक दिन आपको मिट्टी में मिल जाना है फिर भी, आप अपने अहंकार से बाहर नहीं आ पाते और एक दिन आपके अंदर का भगवान, आपका शरीर छोड़कर वापस ब्रम्हाण्ड के कणों में समा जाता है|
दोस्तों ज्ञानी मनुष्य इस माया में लिप्त नहीं होता बल्कि, माया के साथ अभिनय करता है जिसे, लीला कहते हैं| जिस तरह भगवान कृष्ण ने, अपने जीवन में कई तरह की लीलाएँ की लेकिन, अपने जीवन को उलझने नहीं दिया| साथ ही साथ उन्होंने, अपने ज्ञान से पूरी महाभारत का तख़्ता ही पलट दिया इसलिए, उन्हें अवतार कहा जाता है| अवतार वह व्यक्ति है जिसने, अपने देहिक भाव से मुक्ति पा ली हो और धर्म की रक्षा के लिए, अपना जीवन समर्पित कर दिया हो| मुझे पूरी आशा है कि, कुछ हद तक आप भगवान के विषय में समझ पाए होंगे और अधिक जानकारी के लिए आपको वेदों के संस्कृत संस्करण की ओर जाना होगा|