दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi):
दोस्त या मित्र की, किसी भी व्यक्ति के निजी जीवन में, एक अहम भूमिका होती है लेकिन, आज के युग में दोस्ती के मायने ही बदल चुके हैं| जहाँ पहले एक दोस्त माँ-बाप, भाई-बहन, गुरू आदि होता था| आज सिर्फ़ मनोरंजन का पात्र बन चुका है हालाँकि, ज़्यादातर दोस्त संयोग से बनते हैं लेकिन, दोस्ती निभाने के लिए, बोध की आवश्यकता होती है| बोध अर्थात वह ज्ञान जिससे, स्वयं को पहचाना जा सके| प्राचीन ग्रंथ, श्रीमद्भागवत गीता में दोस्ती का, अद्भूत नमूना प्रस्तुत किया गया है जहाँ, दुर्योधन का मित्र कर्ण और अर्जुन के मित्र श्री कृष्ण के उदाहरण से, अच्छे और बुरे दोस्त मे अंतर समझा जा सकता है| उसी तरह हमारे जीवन में भी, कुछ नियम होते हैं जिनके माध्यम से, हम अपने दोस्त के चरित्र को, बख़ूबी समझ सकते हैं| जिसके लिए हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|
1. दोस्ती क्या है?
2. दोस्त क्या होता है?
3. दोस्त का महत्व क्या है?
4. दोस्त से लड़ाई क्यों होती है?
5. दोस्त की याद क्यों आती है?
6. धोखेबाज दोस्त को कैसे पहचानें?
7. दोस्ती किससे करनी चाहिए?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्त और उसकी दोस्ती friendship facts](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost.jpg)
उपरोक्त सभी प्रश्नों के उत्तर, आपके जीवन के लिए उपयोगी, सच्चे मित्र को पहचानने की क्षमता प्रदान करेंगे हालाँकि, आप सोच रहे होंगे कि, आप अपने जीवन के बारे में बेहतर समझते हैं और अपने दोस्त को चुनने का तरीक़ा भी जानते हैं लेकिन, आप बिलकुल ग़लत हैं| दरअसल, हर इंसान अपने अतीत के अनुसार ही, अपने दोस्त बनाता है अर्थात, यदि कोई व्यक्ति क्रिकेट खेलने में रुचि रखता है तो, वह किसी क्रिकेटर से दोस्ती करना पसंद करेगा और यदि कोई व्यक्ति, नशे में ख़ुशी प्राप्त करता है तो, उसे उसी तरह का दोस्त पसंद आएगा| तो क्या, यह तरीक़ा ग़लत है?
जी हाँ, आपको यह समझना होगा कि, आप वो नहीं हो जो, बन कर बैठे हो बल्कि, वह हो जो आपके अंतरात्मा में छुपा बैठा है जिसे, कुछ ग़लत होने पर दुख होता है हालाँकि, ये सारी बातें आपको पहेली की तरह लग रही होंगी लेकिन, मैं आपको यक़ीन दिलाता हूँ कि, इस लेख को पढ़ते ही, आप अपने जीवन के अनुकूल एक श्रेष्ठ मित्र को पहचान सकेंगे, तो चलिए, दोस्ती के इस ख़ूबसूरत सफ़र की ओर|
दोस्ती क्या है?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्ती क्या हैः what is friendship?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost1.jpg)
यदि साधारण भाषा में समझना हो तो, दोस्ती वह रिश्ता है जो, किसी बंधन पर आधारित नहीं होता बल्कि, स्वेच्छा से बनाया जाता है| हर व्यक्ति के लिए, दोस्ती के अलग अलग अर्थ हो सकते हैं लेकिन, सभी का उद्देश्य एक ही होना चाहिए और वह है मुक्ति| अर्थात, एक अच्छी दोस्ती उसे ही कहा जा सकता है जहाँ, एक दूसरे के होने से, जीवन के दुखों को काटने में मदद मिलती हो| इसके अतिरिक्त, दोस्ती वह सागर है जिसमें, छलांग मारते ही किनारा मिल जाता है लेकिन, अच्छी दोस्ती के कुछ ख़ास नियम होते हैं, जिनका ज़िक्र हम इस लेख के निष्कर्ष में करेंगे|
दोस्त क्या होता है?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्त क्या होता हैः what is friend?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost2.jpg)
बिना किसी शर्त या लालसा से, रिश्ता निभाना वाला व्यक्ति, मित्र या दोस्त कहलाता है| दोस्त वह है जो, पाना नहीं देना जानता है| जिसके दिल में, मेरे और तुम्हारे की भावना ख़त्म हो चुकी है और जो, सभी स्वार्थों से ऊपर उठ चुका है, असल मायने में वही मित्र है|
दोस्त का महत्व क्या होता है?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्त का महत्व क्या होता हैः importance of friend?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost3.jpg)
दोस्त तो, अंधे की आँख की तरह होता है, जिसका महत्व समझना, इतना आसान नहीं| सामान्यतः हम किसी भी व्यक्ति को, अपने दोस्त का दर्जा दे देते हैं लेकिन, किसी अंधे ने अगर दुनिया नहीं देखी तो, वह कैसे बता सकता है कि, दोस्त मिलते ही कैसा नज़ारा दिखेगा अर्थात, कोई भी अंधा, अपने ही अंधकार से दोस्ती करेगा| यहाँ दोस्त कृष्ण की तरह राह दिखाने वाला होना चाहिए, न कि कर्ण की तरह, अपने दोस्त को अंधकार में जाते हुए साथ देने वाला|
दोस्त से लड़ाई क्यों होती है?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्त से लड़ाई क्यों होती हैः why friends fight?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost4.jpg)
जब भी हम किसी रिश्ते में सामने वाले से अपेक्षा रखते हैं तो, वह झगड़े की वजह बनती है इसलिए, व्यक्ति को चाहिए कि, वह बिना स्वार्थ के दोस्ती करे हालाँकि, दोस्ती में लड़ाई होना आम बात है लेकिन, कई बार यह लड़ाई हद से अधिक बढ़ सकती है, जिसके कारण ज़िंदगी भर के लिए, दोस्ती का रिश्ता टूट सकता है| दरअसल, हमारी दोस्ती तो, शारीरिक तल पर ही होती है अर्थात, हम अपने दोस्त को ऊपर से ही देख पाते हैं क्योंकि, जब तक आप स्वयं को पूरी तरह जान नहीं लेते, तब तक किसी को समझने में गलतियाँ होती ही रहेंगी|
दोस्त की याद क्यों आती है?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्त की याद क्यों आती हैः why friends remember on thoughts?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost5.jpg)
भावनाओं में बसे हुए, व्यक्ति या वस्तु हमेशा याद आते हैं फिर तो, दोस्त सबसे ख़ास रिश्तों में से एक है| दोस्त से दूरियां होने की, कई वजह हो सकती हैं लेकिन, यदि उसका कारण आप हैं तो, आपको अपने अहंकार को ख़त्म करके, अपने दोस्तों से ज़रूर मिलना चाहिए| अहंकार अर्थात, वह पहचान जिससे आपको, एक श्रेष्ठ व्यक्ति होने का एहसास होता है| जब तक यह भाव, किसी भी व्यक्ति के मन में बना रहेगा, वह रिश्तों की गहराई को नहीं समझ सकेगा फिर, किसी की याद आना, एक अभिनय मात्र रह जाएगा|
धोखेबाज दोस्त को कैसे पहचानें?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): धोखेबाज दोस्त को कैसे पहचानेंः how to identify bad friends?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost6.jpg)
धोकेबाज़ दोस्त नहीं होता बल्कि, आपका व्यक्तियों को पहचानने का नज़रिया संकुचित होता है, जिसके कारण ही, हम स्वार्थी व्यक्ति को दोस्त समझने की गलती कर बैठते हैं| उदाहरण से समझें तो, किसी व्यक्ति को पहचानने के लिए, उसके कई गुणों का आकलन करना पड़ता है लेकिन, हमारी दोस्ती तो, किसी व्यक्ति के एक या दो गुणों तक ही सीमित रह जाती है| फिर भी यदि धोखेबाज़ दोस्त की, पहचान ही करनी हो तो, जो व्यक्ति अपने छोटे से फ़ायदे के लिए, किसी के बड़े नुक़सान होने की परवाह न करें, वह निश्चित ही धोखेबाज़ साबित होगा|
दोस्ती किससे करनी चाहिए?
![दोस्त और उसकी दोस्ती (friendship facts in hindi): दोस्ती किससे करनी चाहिएः Whom should one make friends with?](http://buzz369.com/wp-content/uploads/2024/04/dost7.jpg)
एक अच्छा दोस्त वही हो सकता है जो, पहले एक अच्छा व्यक्ति हो लेकिन, इस दुनिया में गुणों के धनी व्यक्ति को ढूँढना, थोड़ा मुश्किल है तो, फिर क्या हम दोस्ती ही ना करें?
जी नहीं, बेशक़ आप दोस्ती कीजिए लेकिन, वह आपसे बेहतर ही होना चाहिए| यहाँ बेहतर होने का मतलब, शारीरिक तौर पर सुंदरता से नहीं बल्कि, ज्ञान से है| उदाहरण से समझें तो, आपका स्वभाव ग़ुस्से वाला है तो, आपको शांत स्वभाव के व्यक्ति से ही दोस्ती करना चाहिए| तभी आपके जीवन में, दुखों को कम किया जा सकेगा| दरअसल, मनुष्य का जीवन ही दुख है| या यूँ कहें कि, हमारा जन्म ही दुख है| जिन गुणों को, एक सामान्य व्यक्ति धारण करता है तो, वही उसे लालच के चलते, दुखों के सागर में ले जाते हैं लेकिन, यदि एक ऐसा मित्र मिल जाए जो, अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर, दूसरे के हितों की रक्षा के लिए, प्रयासरत हो तो, आपका जीवन निश्चित ही बदल जाएगा|
कुछ बातों में हमें प्रारंभ में बुरा लग सकता है लेकिन, अंत में उनका परिणाम सुखद होता है| उसी प्रकार कुछ ऐसी बातें भी होती है जहाँ, शुरू में हमें आनंद की अनुभूति होती है लेकिन, अंत में वही दुख का कारण बनता है| उसी प्रकार कुछ दोस्त भी होते हैं| जिनकी सीख, हमारे अहंकार के आड़े आती है और उसका खामियाजा हमें ही, भुगतना पड़ता है इसलिए, दोस्त की बात की गहराई को समझने के लिए, उसे एक इंसान की तरह देखना होगा अन्यथा, मोहभ्रम भी हो सकता है, जिस तरह दुर्योधन की दोस्ती का भ्रम, कर्ण को हुआ था और दोनों का समूल नाश हो गया| अगर आपका दोस्त, विशेष गुण रखता है तो, उसे देखने के लिए आपको, उसी तरह की निगाहें रखनी होगी तभी, आप उसकी सत्यता को परख सकेंगे| जैसे अर्जुन ने, श्रीकृष्ण को एक गुरु की तरह पहचाना था न कि, एक मित्र की तरह इसलिए, ध्यान रहे एक सच्चा मित्र ही अच्छा गुरु हो सकता है|