लेखक (lekhak explained in hindi):
मानव सभ्यता के विकास में लेखकों का अद्भुत योगदान है| आज हम जो कुछ भी जानते हैं, वह केवल लेखकों का ही परिश्रम है| आदि काल से लेकर, वर्तमान तक लेखकों के, लिखे लेख मानव शिक्षा का आधार है| लेखक ऐसा व्यक्ति होता है जो, मनुष्यों को संसार संबंधित सूचनाएँ प्रदान करता है| लेखकों का जीवन, विषय समर्पित होता है अर्थात वह किसी न किसी, तथ्य या जानकारी को उजागर करने के लिए, ही लेख लिखते हैं हालाँकि, सभी लेखक मानव सभ्यता के लिए, उपयोगी नहीं रहे| मानवता के बीच कुछ ऐसे विधर्मी भी होते रहे जिन्होंने, अपने लेखों के माध्यम से, मानव समाज को गर्त में धकेल दिया| कारण कोई भी रहा हो किंतु, क्षति मनुष्यता की ही हुई है| आज अधिकतर लोग, पशुओं की भांति जीवन व्यतीत कर रहे हैं| उन्हें केवल अपने स्वार्थ दिखाई दे रहे हैं जिससे, सभी व्यक्तियों का जीवन दुख में बीत रहा है| भोगवादी विचार के कारण, संसाधनों की कमी निरंतर बढ़ती जा रही है| तो क्या, इन सब बातों के लिए, लेखक उत्तरदायी हैं? जी हाँ, अश्लीलता को बढ़ाने वाली पुस्तकें, हिंसा बढ़ाने वाली कहानियां और मानव भेदभाव बढ़ाने वाले, इतिहास के साथ कुछ लेखकों ने, निश्चित ही अधर्म किया है| जिसका परिणाम पूरी मानव जाति झेल रही है| निम्नलिखित बिंदुओं से लेखक का चरित्र समझने का प्रयास करते हैं|
- लेखक क्या होता है?
- एक लेखक का कर्तव्य क्या है?
- लेखक समाज को कैसे प्रभावित करता है?
- लेखक कैसे बने?

लेखक यदि चाहे तो, कुछ वर्षों के अंदर मानव अनुकूल वातावरण बनाया जा सकता है| किंतु कैसे, एक लेखक भला इतना सक्षम कैसे हो सकता है? तो आपको बता दें कि, विचारों में अपार शक्ति होती है| विचार के बिना, मनुष्य कुछ नहीं कर सकता इसलिए, उसे संसार के प्रत्येक आवश्यक विषय से अवगत कराना, शिक्षण संस्थानों का कर्तव्य होता है जहाँ, किताबों के माध्यम से, इतिहास से लेकर, भूगोल तक और गणित से लेकर, विज्ञान तक पढ़ाया जाता है ताकि, सभी मनुष्यों को एक दिशा में आगे बढ़ाया जा सके| हालाँकि, यह करना सफल नहीं हो पाता क्योंकि, भले ही हम सभी मनुष्य हों किंतु, हमारे विचार विभिन्न हैं किसी को लाल रंग पसंद है तो, किसी को हरा| यहाँ तक तो ठीक था लेकिन, जब लाल को पसंद करने वाला, हरे से घृणा या हरे को चाहने वाला, लाल की उपेक्षा करें तो, निश्चित ही द्वंद्वात्मकता स्थिति उत्पन्न होगी| एक मनुष्य जो भी सुनता, पढ़ता है उसी के अनुसार, अभिनय करने लगता है किंतु, वह भूल जाता है कि, यह विचार उसे लेखकों के द्वारा मिले हैं जो, कही न कही आम बोलचाल में उपलब्ध हैं| सोशल मीडिया के लेखो का प्रभाव तो, आपने देखा ही होगा जो, रातोरात विश्व युद्ध की स्थिति तक खड़ी कर सकते हैं| जब तक मनुष्य अपने अहंकार के साथ कोई भी कार्य करेगा, वह अपना स्वार्थ अवश्य देखेगा फिर, वह लेखक ही क्यों न हो| तो क्या, लेखक अच्छे नहीं होते? वस्तुतः अध्यात्म के अनुसार, लोगों के हित में समर्पित व्यक्ति, सार्थक कर्मी कहलाता है अर्थात जो लेखक, अपने स्वार्थ को पीछे रखकर, परहित विचारधारा में समर्पित होता है, वही श्रेष्ठ कहलाता है| निम्नलिखित बिंदुओं में इसका स्पष्टीकरण उपलब्ध है|
लेखक क्या होता है?

भौतिक तथा अभौतिक विषय वस्तुओं को शब्दों के माध्यम से, प्रकाशित करने वाले व्यक्तियों को लेखक कहा जाता है| लेखक मानव सभ्यता का वह अंग है जिसके ऊपर, ज्ञान को आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व होता है| लेखकों की रुचि कहानी, कविताएँ, गाने, समाचार और अन्य किसी भी प्रकार के लेख लिखने की हो सकती है लेकिन, सभी का उद्देश्य मानव ज्ञान का विकास होता है| लेखक प्रत्येक वह व्यक्ति है जो, अपने ज्ञान का अभिलेखीकरण कर रहा है ताकि, वर्तमान और भविष्य में सूचनाएँ प्रदान की जा सकें| आज मानव समाज जिस भी विचारधारा का अनुगमन कर रहा है वह, लेखकों के द्वारा प्रदान की गई है| प्राचीन पांडुलिपी, धार्मिक ग्रंथ और दर्शन साहित्य मानव सभ्यता के लिए, सदा ही उपयोगी रहे हैं| यदि सीधे शब्दों में कहें तो, लेखक के योगदान के बिना, मानव संस्कृति का विकास बाधित हो जाएगा क्योंकि, ज्ञान को आगे बढ़ाने का सबसे उत्तम मार्ग, शब्द ही होते हैं हालाँकि, चित्रकारी और मौखिक चर्चाओं से भी, मनुष्य को शिक्षित किया जाता है किंतु, उस ज्ञान का स्रोत भी, कहीं न कहीं किताबें ही होती हैं|
एक लेखक का कर्तव्य क्या है?

लेखक के हाथ में मानव समाज की डोर होती है यदि, वह चाहें तो समाज को नर्क बना सकता है और यदि चाहे तो, अपने शब्दों के जादू से, प्रेम के फूल भी खिला सकता है| एक लेखक के नाते, किसी भी व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य है कि, उसके द्वारा दी गई सूचनाएँ सत्य आधारित हों| जैसे, यदि किसी उत्पाद, समाचार या घटना आदि की जानकारी दी जा रही है तो, वहाँ अपने निजी विचार न रखते हुए, सत्य निहित उद्देश्य रखना अनिवार्य होता है क्योंकि, एक मनुष्य जब तक संसार में रहता है, उसके स्वार्थ उस पर हावी होते हैं जिससे, वह अपने व्यक्तिगत उद्देश्य के लिए, समाज को अंधकार में भी धकेल सकता है इसलिए, लेखक को निःस्वार्थ भाव से, अपने अहंकार को पीछे रखकर, मानव हित में ही सूचनाएँ प्रदान करना चाहिए हालाँकि, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सारा संसार ही असत्य कहलाता है जो, क्षणभंगुर मात्र है अर्थात जो आज है, वह कल नहीं होगा| जैसे, किसी लेख में इस देश के सबसे धनी व्यक्ति का नाम प्रकाशित किया गया, क्या वह सूचना सदा के लिए सत्य है? जी नहीं, क्योंकि जो, आज प्रथम स्थान पर है कल वह, नहीं रहेगा लेकिन, जिस समय यह बात लिखी जा रही होगी उस समय के लिए तो, इसे सत्य ही कहा जायेगा| चूँकि सांसारिक मनुष्यों के लिए, संसार सत्य होता है| अतः एक लेखक को अपनी रचनाओं में इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि, उसे केवल कुछ ही वर्ष मिले हैं जिसमें, वह सृष्टि के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभा सकता है| अतः लेखक मनुष्य को मनुष्यता सिखाने के लिए ही समर्पित होना चाहिए ताकि, सृष्टि का पारिस्थितिकी तंत्र सुगमता से संचालित होता रहे फिर, चाहे लेखक किसी भी क्षेत्र में हो, उसे प्रत्येक दिशा में अंधकार को मिटाने का कार्य करना होगा| महिला सशक्तिकरण, पशु पक्षी संरक्षण और शिक्षा जैसे मुद्दों पर, अत्यधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है तभी, एक आदर्श समाज की स्थापना की जा सकेगी|
लेखक समाज को कैसे प्रभावित करता हैः

पृथ्वी में पैदा होकर, ज्ञान तो सभी मनुष्य अर्जित करते हैं किंतु, उसे बाँटने का साहस सभी में नहीं होता| हाँ, प्रत्येक काल में कुछ ऐसे महानायक अवश्य हुए हैं जिन्होंने, अपना बलिदान देकर भी, समाज को जागरूक किया है| इस दुनिया में सभी के अपने उद्देश्य हैं लेकिन, उनकी पूर्ति के लिए समाज का सोते रहना अनिवार्य है इसलिए, कुछ लोग नहीं चाहते कि, आम जनता जागरूक हों और समस्या इस बात की है कि, यही लोग हमेशा से शक्तिशाली रहे हैं जिनका, मनुष्यों पर लगभग 90% नियंत्रण होता है| यह नहीं चाहते कि, समाज तक सही जानकारियां पहुँचाई जाएं| ये लोग अपने धन के दम पर, झूठ फैलाने का भरपूर प्रयास करते हैं किंतु, सत्य नहीं छुपता हालाँकि, लेखक समाज पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव डालता है जैसा कि, आप जानते हैं, वर्तमान समय में इंटरनेट, सूचनाएँ प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है लेकिन, इंटरनेट पर उपलब्ध सभी जानकारियों का परीक्षण संभव नहीं होता| एक ही घटना के कई पहलू हो सकते हैं किंतु, किसी घटना का समाज पर क्या प्रभाव होगा, यह एक लेखक भलीभाँति जानता है और वह व्यक्तिगत समझ या योजनानुसार, उसे प्रस्तुत करता है ताकि, आम लोगों को सांसारिक विषयों से अवगत कराया जा सके| लेखकों के द्वारा अनगिनत किताबें लिखी गई हैं जो, किसी धन कोष से कम नहीं| इसके विपरीत कई ऐसे लेखक भी होते हैं जिनका, निजी स्वार्थ होता है| वह अपनी सोच के अनुसार, किसी भी देश के नागरिकों का मनोबल तोड़ सकते हैं या देशों के बीच, द्वन्द्वात्मक स्थिति पैदा कर सकते हैं इसलिए, किसी एक रचना पर अंधा विश्वास नहीं होना चाहिए| तुलनात्मक अध्ययन के बिना, किसी भी लेखक के द्वारा प्रकाशित, विवरण संदेहात्मक होता है| आज कई लेखक, धन के लिए अपनी लेखनी का समझौता कर चुके हैं जिससे, सत्य अनदेखा होता रहता है और फिर लेखक, अपनी घृणित मानसिकता के साथ, दूषित विचारधारा उत्पन्न करने का भरसक प्रयास करता है ताकि, अधिक से अधिक मनुष्यों पर अपनी सोच थोपी जा सके| यदि सीधे शब्दों में कहना हो तो, लेखक ही समाज का मस्तिष्क है जो, अपनी कलम से संसार को संचालित करता है|
लेखक कैसे बने?

लेखक विचाराधीन व्यक्तित्व का स्वामी होता है अर्थात एक लेखक को, अपनी लेखनी संबंधी विषय में उतारना पड़ता है तभी, एक श्रेष्ठ लेख की रचना की जा सकती है| लेखक बनना आसान कार्य नहीं क्योंकि, लिखना तो सभी को आता है लेकिन, क्या लिखा जाए, यह बिना ज्ञान के बताया नहीं जा सकता| लेखक दुनिया के सभी क्षेत्रों में बना जा सकता है| जैसे वन्य जीवन, व्यापारिक शिक्षा, विज्ञान या अध्यात्म इत्यादि| मनुष्य को चहुंमुखी विकास की आवश्यकता होती है किंतु, उन्नति करने के लिए इतिहास जानना अनिवार्य होता है और इतिहास तभी उपलब्ध हो सकता है जब, लेखकों ने वर्तमान में अपनी भूमिका, सच्चाई और ईमानदारी से निभाईं हों| लेखक को अपने हृदय में सत्य स्थापित करना ही होगा तभी, उसकी रचनाओं में निखार आ सकता है| लेखक को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि, उसकी लेखनी उसके अंतरात्मा से आनी चाहिए| उदाहरण के तौर पर, यदि आप पत्रकार हैं तो, अपने स्वाभिमान का सौदा करके, लेख प्रकाशित करना मूर्खतापूर्ण होगा| झूठ लिख कर, भले ही धन अर्जित कर लिया जाए लेकिन, मानव धर्म नहीं निभाया जा सकता और बिना मानव धर्म निभाए, मन की शांति प्राप्त करना असंभव है| मनुष्य, जीवन के आनंद के लिए ही मनोकामनाएं करता है न कि, दुख के लिए और जब तक, जीवन सच के साथ न जिया जाए तब तक, वह सार्थक नहीं हो सकता| एक सच्चे लेखक में इतना साहस होता है कि, वह बड़ी से बड़ी सत्ता हिला सकता है किंतु, जब वह मृत्यु का भय त्याग चुका हो क्योंकि, सत्य लिखने का एक मूल्य होता है जिसे, कभी न कभी चुकाना पड़ सकता है हालाँकि, मनोरंजन संबंधित लेखों में ऐसा कोई भय नहीं होता और मनोरंजन संबंधित लेख भी, ज्ञान निहित हो सकते हैं हालाँकि, आज मनोरंजन ज्ञान से अधिक, अश्लीलता का प्रचारक बन चुका है जिससे, लोगों में भौतिकता के प्रति कामना उत्पन्न करने वाली कहानियाँ, गाने या उपन्यास भी लिखे जाते हैं|
आपने फ़िल्मों में अवश्य देखा होगा कि, अभिनेता, स्त्री आकर्षण को बढ़ाने के साथ साथ, उपभोगवाद को भी बढ़ावा देते दिखाई देते हैं| अधिकतर वस्तुओं का उपभोग, प्रदर्शित करना इस ओर संकेत करता है कि, कोई तो चाहता है कि, आप वैसा जीवन जीयो जैसा, चलचित्र कहानियों में अभिनेत्री या अभिनेता जी रहे हैं तभी, विश्व की अर्थव्यवस्था को बढ़ाया जा सकेगा| भले ही आपका जीवन दरिद्रता में बीत रहा हो या आपको मन की शान्ति न मिल रही हो लेकिन, पूंजीपतियों के बैंक के खाते अवश्य भर रहे हैं| एक उत्कृष्ट लेखक वही है जो, परमार्थ मार्ग अपना चुका है अर्थात जिसका उद्देश्य, मानवता की भलाई है और वह किसी भी माध्यम से, सृष्टि का भला चाहता है ताकि, मनुष्यों का जीवन सुगमता से संचालित हो सके|
लेखक का पेशा मानव सभ्यता को संरक्षित करने के लिए, अतिआवश्यक है किंतु, जब मन हीन भावना और भेदभाव से ग्रसित हो तो, सत्य प्रकाशित नहीं किया जा सकता और बिना सत्य लिखे, एक लेखक अमर नहीं हो सकता अर्थात उसके द्वारा प्रकाशित सूचना हमेशा के लिए, उपयोगी नहीं रहेंगे| जैसे ही, उसके झूठ से पर्दा उठेगा उसका योगदान निरर्थक हो जाएगा| व्यक्तिगत घटनाओं की जानकारी और काल्पनिक बातों तक तो ठीक है लेकिन, जो विषय आने वाली पीढ़ी से संबंधित हों, उसे लिखते समय शुद्ध चेतना होना अनिवार्य है| दूषित मन सदा ही, घृणात्मक विषयों की उत्पत्ति करता है जो, मानवता के लिए अहितकारी होगा|