अपमान (Apman explained in hindi):
अपमान मानव जीवन की एक ऐसी परिस्थिति है जो, मन को दुख में डुबो देती है| कुछ लोग इतने भावनात्मक होते हैं कि, अपने अपमान को मृत्युतुल्य समझते हैं| आपने लोगों को कहते सुना होगा कि, मौत आ जाए तो चलेगा लेकिन, अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे हालाँकि, अपमान केवल उसी व्यक्ति को अनुभव होता है जिसे अहम् या आकांक्षा होती है| अगर सीधे शब्दों में कहें तो, अहंकार ही अपमान का मुख्य कारण है| जैसे, बच्चे को अपने पिता की डाँट का अपमान लगता है क्योंकि, पिता उसके अहंकार का कारण है| अहंकार वह पहचान है जिससे, मनुष्य स्वयं को परिचित करता है जैसे, विक्रम सिंह एक व्यक्ति की पहचान है जो, निरंतर परिवर्तित होती रहेगी| अजनबियों के सामने वह, विक्रम सिंह कहलाएगा और सगे संबंधियों के लिए बेटा, पति, पिता, दोस्त, भाई इत्यादि| इसलिए, जब किसी भी रूप में उसे जानने वाले, उसके प्रति नकारात्मकता प्रदर्शित करते हैं तो, उसे अपमान लगेगा| यह सामने वाले व्यक्ति के द्वारा, अनभिज्ञता या योजनाबद्ध किया जा सकता है| अपमान की तथ्यात्मक जानकारी के लिए हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|
- अपमान क्या है?
- अपमान क्यों होता है?
- अपमान को कैसे भूले?
- अपमान के क्या फायदे हैं?
- अपमान का बदला कैसे ले?

अपमानित हुए व्यक्ति, प्रतिशोध की भावना से भर जाते हैं जो, उन्हें निरंतर दुखी करता रहता है| किसी मनुष्य के द्वारा कहे गए कटु शब्द, बंदूक की गोली के समान हृदयवेदक होते हैं| जो व्यक्ति, जितना दूसरों पर आधारित होगा, वह उतना अधिक अपमानित अनुभव करेगा| कई लोग अपने अपमान को पूरा जीवन याद रखते हैं और अपमान करने वाले व्यक्ति से, सारे सम्बन्ध समाप्त कर देते हैं किंतु, ये सब करने के बनिस्बत, उनके मन को शांति नहीं मिलती और मिलेगी भी कैसे? यह विषय तो, अध्यात्म का है लेकिन, आप इसका समाधान संसार में तलाश रहे हैं| संयोग से हुई घटनाओं को आप रोक नहीं सकते किंतु, अपमान के अवलोकन के बाद दुखी होने से बच सकते हैं| निम्नलिखित बिन्दुओं से यह बात पूर्णतः स्पष्ट होगी|
अपमान क्या है?

किसी व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाना ही अपमान है| प्रत्येक मनुष्य के दो तल होते हैं| एक शारीरिक और एक चेतना आधारित| अधिकतर मनुष्य, अपना जीवन शारीरिक तल पर ही जीते हैं लेकिन, जब विपरीत परिस्थितियों का प्रहार होता है तब, चेतना आधारित तल इसका अनुभव करता है| यदि किसी कुत्ते को रोटी के बदले, डंडे से मारकर भगा दिया जाए तो, उसे किसी तरह का अपमान अनुभव नहीं होगा किंतु, यदि यही किसी मनुष्य के साथ ऐसा हो तो, वह आंतरिक पीड़ा से दुखी हो जाएगा| अपमान का संबंध, आंतरिक मन से है| वैसे तो, मनुष्य पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ प्राणी हैं लेकिन, जब वह स्वयं को एक शरीर मान लेता है तो, उसका दायरा सीमित हो जाता है और तभी वह, नए नए विषय वस्तुओं से जुड़कर, सम्मान प्राप्ति की कामना करता है किंतु, परिस्थितियों की प्रतिकूलता अपमान को जन्म दे देती है जो, अत्यंत दुखदायी होता है|
अपमान क्यों होता है?

किसी व्यक्ति की परनिर्भरता ही उसके अपमान के मार्ग खोल देती है| जब भी मनुष्य, अपने जीवन को दूसरों के अनुसार चलाने का प्रयास करेगा, उसका अपमान होता रहेगा| मनुष्य का अहंकार ही, उसके अपमान का मुख्य कारण है| जो जितना अभिमानी होगा, उतना अधिक अपमान का अनुभव करेगा| किसी व्यक्ति के लिए, उसका अपमान उसकी दुर्बलता का संकेत होता है| अपमान ही मनुष्य को आईना दिखाता है ताकि, वह अपने स्वार्थी जीवन के यथार्थ स्वरूप को देख सके और यह सोच सके कि, उसने किसी को इतना अधिकार कैसे दिया कि, कोई उसे अपमानित कर सके| अपमान मनुष्य के लिए, अविस्मरणीय घटना होती है, जिसका आघात सीधे ह्रदय में चोंट करता है|
अपमान को कैसे भुले?

अपमान की चोट, व्यक्ति के मनोबल को तोड़ देती है हालाँकि, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो, अपने अपमान को प्राथमिकता नहीं देते जैसे, एक सेल्समैन अपने बॉस के दुर्व्यवहार से अपमानित होने के बनिस्बत, इसे भूलने का प्रयत्न करेगा क्योंकि, उसका सीधा संबंध, उसके स्वार्थ से है| अगर वह अपने बॉस का प्रतिरोध करता है तो, उसे उसकी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है और जब भी व्यक्ति, आधारित विषयों से अपमानित होगा, वह इसे आसानी से भूल जाएगा लेकिन, जिस व्यक्ति या वस्तु के बिना जीवन चल सकता है, उसके द्वारा किया गया अपमान हमेशा याद रहता है| यहाँ तक कि, उसके प्रतिशोध की भावना भी बढ़ जाती है| यदि मनुष्य अपने अहंकार को शून्य कर दे और अपने जीवन के लिए स्वयं पर आश्रित हो जाए तो निश्चित ही उसका अपमान अनुभवहीन होगा| यदि प्रकाश के सामने पारदर्शी कांच रखा जाये तो, वह प्रतिरोध नहीं करता और जल्दी गर्म होने से बच जाता है किन्तु, कलर किया हुआ कांच, रौशनी रोककर अधिक गर्म हो जाता है| उसी प्रकार यदि मनुष्य बिना किसी भौतिक पहचान के, अपना अस्तित्व देखता है तो ही, वह पारदर्शी अवस्था धारण करेगा अन्यथा, उसे अपमान अवश्य वेदना देगा|
अपमान के क्या फायदे हैं?

एक अर्ध चेतन मनुष्य के जीवन के लिए, उसका अपमान लाभदायक हो सकता है क्योंकि, जिस व्यक्ति में किंचित मात्र भी गरिमा शेष है वह, ऐसे मार्ग को नहीं अपनाएगा जहाँ, बार बार लज्जित होना पड़े किंतु, यहाँ संबंध व्यक्ति की चेतना से है, शरीर से नहीं| क्योंकि, मनुष्य अपने जीवन में बहुत से लोगों से आसक्ति रखता है| बचपन में अपने माता पिता से, प्रेम और सम्मान की इच्छा, कब पत्नी और बच्चे तक पहुँच जाती है, पता ही नहीं चलता| अतः सांसारिक व्यक्तियों से, कुछ पाने की चाह का बने रहना ही, अपमानजनक परिस्थितियों का जन्मदाता है| जैसे, किसी से धन की चाह रखना, किसी से प्रेम की आशा करना और किसी से सम्मान प्राप्ति की आकांक्षा करना, इत्यादि विषय अपमान का आधार होते हैं और जैसे ही, व्यक्ति का अपमान होता है| वह सामने वाले की वास्तविकता से अवगत हो जाता है और तभी, उसका मोहभंग हो सकता है| चूँकि, मोह ही मनुष्य का दुख है| संसार में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिससे, आपको अपने जीवन के सभी सुख प्राप्त हो सकें इसलिए, हमारा मन कई दिशाओं की ओर आकर्षित होता है लेकिन, जब उसकी सारी उम्मीद टूटती है तो, वह अवसाद में चला जाता है| अब यहाँ दो बातें होती हैं, या तो वह, अपने जीवन के अंधकार को अपनाकर, अपने अहंकार के साथ दुखदायी जीवन जिएगा या श्रेष्ठ ज्ञान के माध्यम से, सत्य के ओर चलने को तत्पर होगा|
अपमान का बदला कैसे ले?

सामान्य मनुष्य, शारीरिक तल पर अपने अपमान का बदला लेना चाहता है जो, निरर्थक है| यदि आप अपने अपमान का बदला लेना चाहते हैं तो, लोगों से अपनी निर्भरता समाप्त कीजिए| आत्मनिर्भर बनिए| पैसे के लिए, प्रेम के लिए, मनोरंजन के लिए अलग अलग विषय वस्तुओं से मत जुड़िये बल्कि, एक ऐसे विषय की तलाश कीजिए जिससे, आपको प्रेम हो, जो स्वयं से अधिक सार्वजनिक लाभ देने वाला हो और उसमें डूब जाइए तब, आपका आंतरिक सम्मान स्वतः ही बढ़ जाएगा| इसे ही अपने अपमान का सर्वश्रेष्ठ बदला समझा जा सकता है| छोटी छोटी घटनाओं से दुखी होने वाला व्यक्ति, अतिसंवेदनशील प्रतीत होता है किंतु, वास्तव में वह अत्यंत स्वार्थी है, जो केवल अपने लिए ही सोच रहा है| ऐसे व्यक्ति अपने अपमान का बदला लेते लेते, स्वयं को भी हानि पहुँचाते हैं|
जीवन में सही कर्म करने वाले व्यक्ति, मान अपमान से ऊपर होते हैं| किसी की मूर्खतापूर्ण बातें उन्हें आघात नहीं पहुँचा सकतीं| जो अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य से परिचित होता है उसे, किसी भी तरह से अपमानित नहीं किया जा सकता| श्रेष्ठ पुरूष अपने अपमान को अपना मार्ग बनाते हैं| जैसे, राम के लिए सीता हरण अपमानजनक नहीं बल्कि, धर्मयुद्ध जनक है| उसी प्रकार गौतम बुद्ध का या ईसा मसीह का अपमान, मानव चेतना को जागृत करने वाला है| अपने अपमान को हथियार बनाना ही, एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व की पहचान है|