भगवद्गीता (bhagwat geeta explained)

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भगवद्गीता (bhagwat geeta explained in hindi):

भगवद्गीता एक प्रचलित इतिहास है जिसे कृष्ण का गीत कहा जाता है, भगवद्गीता ग्रंथ के रूप में पिरोया हुआ अमृत है हालाँकि, यह सनातन के प्राचीन ग्रंथ के रूप में जानी जाती है किंतु, वास्तव में यह पूरी मानव जाति के लिए ही रची गई है| जन्म से मनुष्य को शरीर तो प्राप्त हो जाता है लेकिन, शरीर का उपयोग कैसे किया जाए, यह कोई नहीं बता पाता है चूंकि, यहाँ प्रत्येक व्यक्ति के अपने निजी स्वार्थ हैं जहाँ, वह अपने अनुभवों को ही सत्य समझ बैठता है जिसे, मनुष्य का मानक नहीं माना जा सकता| उदाहरण के तौर पर, पिता अपने बेटे को अपना अनुभव देने का प्रयास करता है| एक दोस्त अपने दोस्त को अपने विचारों से संचालित करने का प्रयास करता है और सबसे प्रभावी मीडिया, जिसके भ्रमित रूप से आज भी लोग अनभिज्ञ हैं| अतः हमें समझना होगा कि सभी मनुष्यों की अपनी एक काल्पनिक दुनियाँ होती है जिसकी रचना वह अपने अतीत की सूचनाओं के आधार पर करते हैं| एक चिड़िया, बाज को ज्ञान नहीं दे सकती| एक बकरी, शेर को घास खाना नहीं सिखा सकती इसलिए, किसी व्यक्ति का अनुभव, अन्य के लिए उपयोगी होना दुर्लभ है|

आपने देखा होगा, किसी एक स्थिति में दो व्यक्तियों का दृष्टिकोण भिन्न होता है| आश्चर्य की बात तो यह है कि, दोनों को ही अपनी बात पर पूर्ण विश्वास होता है| दोनों में से किसका कथन अनुचित है या कौन सही है? इसका पता तो, समय के साथ चल ही जाता है लेकिन, कई बार सच्चाई सामने आते आते जीवन बीत चुका होता है फिर, केवल पछतावा ही बचता है इसीलिए, मनुष्य को जीवन प्रारंभ करने से पहले, गीता का ज्ञान अवश्य लेना चाहिए| गीता मानव अस्तित्व की नियमावली है अर्थात गीता मनुष्य के शारीरिक गुणों से भलीभाँति परिचित है| आपके साथ कब, कौन, क्या, कैसे करेगा? यह केवल, दार्शनिक अध्ययन से ही पता लगाया जा सकता है और गीता सांसारिक जीवन का सर्वोत्तम दर्शन है| जीवन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान, गीता ही है| ये बात सुनने में अतार्किक लग रही होगी किंतु, आपको जब गीता के अद्भुत रहस्य का पता चलेगा तो, आपको अपने बीते हुए जीवन का पछतावा होगा| भगवद्गीता कोई चमत्कारी किताब नहीं है बल्कि, श्रेष्ठ जीवन हेतु प्रेरित करने वाला गीत है जिसे, भगवान श्री कृष्ण ने, अर्जुन के माध्यम से, सर्वजगत को प्रदान किया और निश्चित ही, यह आपके जीवन के सभी रहस्यों से पर्दा उठा सकती है जिसे, समझने के लिए हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|

  1. भगवत गीता क्या है?
  2. गीता क्यों पढ़नी चाहिए?
  3. गीता पढ़ने के नियम क्या है?
  4. गीता हमें क्या सिखाती है?
  5. गीता का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
चमत्कारी किताब miraculous book?
Image by Wikimedia Commons

अधिकतर लोग, समाज में फैली हुई त्रुटिपूर्ण गीता पढ़ कर, भ्रमित हो चुके हैं जिससे, वह मानवीय माया जाल में फँसते जा रहे हैं| जैसे आपने सुना होगा, फल की चिंता मत करो, अपने कर्म में लगे रहो किंतु, यह बात सभी व्यक्तियों पर लागू नहीं होती, जब तक मनुष्य स्वयं को पूरी तरह पहचान न लें, तब तक उसे, किसी भी कर्म में अंधों की भांति विश्वास नहीं करना चाहिए| गीता के अनुसार अगर आप निष्काम कर्म चुनते हैं तभी, आपको फल की चिंता नहीं करनी होती| इसके विपरीत सांसारिक मनुष्य के द्वारा चुने गये सकाम कर्म, भविष्य में निश्चित ही दुखदायी सिद्ध होंगे| जब तक मनुष्य स्वयं यथार्थ गीता का अध्ययन न कर ले, उसे कही सुनी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए| गीता मानव चेतना की कुंजी है जिसका, स्वाध्याय अनिवार्य है| चलिए निम्नलिखित बिंदुओं से गीता की उपयोगिता समझने का प्रयत्न करते हैं|

भगवत गीता क्या है?

भगवत गीता क्या हैः What is Bhagwat Geeta?
भगवद्गीता

वैसे तो भगवत गीता को धार्मिक ग्रंथ माना जाता है जिसे, उपनिषदों का सार भी कहा जा सकता है| जिसके व्याख्यानमाला में उपनिषद और वेदांत निहित हैं इसीलिए, इसे आज सनातन आध्यात्मिक शिक्षा का सबसे प्रमुख स्त्रोत माना जाता है| वस्तुतः गीता कुरुक्षेत्र मैदान में महाभारत काल के दौरान, कृष्ण के द्वारा दिए गए, उपदेशों का संग्रहित अमृत है जिसे, श्री कृष्ण ने अपने परम मित्र, अर्जुन को माध्यम बनाते हुए, संपूर्ण मानव जाति के उद्धार के लिए, अपने मुखारविंद से प्रभावित किया था| भगवद्गीता को 18 अध्यायों में 700 श्लोकों के माध्यम से, वर्णित किया गया था जहाँ, प्रत्येक श्लोक ज्ञान का अद्भुत भंडार है|

गीता क्यों पढ़नी चाहिए?

गीता क्यों पढ़नी चाहिएः Why should one read Geeta?
Image by Arnie Bragg from Pixabay

मनुष्य जन्म के समय पशु के समान होता है जिसे, सामान्य शिक्षा के बिना समाज में नहीं रखा जा सकता इसलिए, मानव जाति ने, अपने अपने क्षेत्र के अनुसार व्यक्तियों को शिक्षित करने की व्यवस्था बनायी है जहाँ, संसार की भौतिक विषय वस्तुओं का ज्ञान दिया जाता है किंतु, गीता सबसे अद्भुत है क्योंकि, यह मानव जीवन की कुंजी है जिसे, सांसारिक दुखों का समाधान माना जाता है| हालाँकि, केवल गीता पढ़ लेने भर से कुछ नहीं होता| हाँ यदि, गीता ज्ञान को मनुष्य अपने जीवन में उतार ले तो, निश्चित ही वह सुख दुख के चक्र से मुक्त हो जाता है| संसार में प्राप्त होने वाले बंधन ही, मनुष्य का सबसे बड़ा दुख हैं| जिनके मोह में आसक्ति का भाव उत्पन्न हो जाता है और विपरीत परिस्थितियों में वही, हमारे दुखों का कारण बन जाते हैं| गीता के सभी श्लोक गूढ़ार्थ हैं जिन्हें, बिना गुरु के समझ पाना अत्यंत कठिन है|

गीता पढ़ने के नियम क्या हैं?

गीता पढ़ने के नियम क्या हैं: What are the rules of reading Geeta?
Image by Wikimedia Commons

किसी भी श्रेष्ठ ग्रन्थ का उद्देश्य, मानव चेतना को ऊपर उठाना होता है जिन्हें, पढ़ने का एकमात्र नियम, स्थिरता से अध्ययन है अर्थात् ग्रंथाध्ययन पूर्वाग्रह निष्क्रियता के पश्चात, केंद्रित होकर पढ़ना अनिवार्य है| गीता पढ़ने का कोई समय नहीं होता, न ही इसे पढ़ने की कोई आयु होती| यदि व्यक्ति संसार में विचरण करने से पूर्व, गीता का सम्पूर्ण अध्ययन कर ले तो, वह अपने जीवन में आने वाली अनिश्चितताओं से, परिचित हो सकेगा और गीता प्रदत्त श्लोकार्थ, उच्चतम दृष्टिकोण प्रदान करेगा| गीता मनुष्य के जीवन को सार्थकता की ओर बढ़ाने में सहायक होती है इसलिए, गीता को 24 घंटे सातों दिन पढ़ा जा सकता है| हलाकि, गीता की एक विशेषता है कि, सांसारिक मनुष्य भी स्वार्थनुसार इसका अर्थ निकाल लेते हैं जो, उन्हें अनुग्रहीत करता है जिसे, मानवीय जीवन का अस्थाई समाधान कहना ही उचित होगा| मुख्यतः अर्जुन द्वारा पूछे सभी प्रश्न, सांसारिक मनुष्य की वेदना प्रकट करते हैं किन्तु, कृष्ण अपने उपदेशों से, अर्जुन को उसके यथार्थ से परिचित करा देते हैं|

गीता हमें क्या सिखाती है?

गीता हमें क्या सिखाती हैः What does Geeta teach us?
Image by Barbara from Pixabay

गीता मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है| वस्तुतः सारा संसार माया है जहाँ, मनुष्य निरंतर कई योनियों में फँसता है| कभी वह स्वयं को बेटा समझता है, कभी पति, कभी पिता, कभी ग्राहक, तो कभी विक्रेता और न जाने वह अनगिनत द्विपक्षीय, बंधनों में लिप्त होता रहता है परिणामस्वरूप वह अपना वास्तविक उद्देश्य, भूल जाता है और भ्रमजाल में उलझ कर दुख, भय और क्रोध जैसी स्थितियां उत्पन्न कर लेता है तभी, गीता के श्लोक, दर्दनिवारक का कार्य करते हैं| चूँकि सुख मनुष्य को अंधा बना देते हैं इसीलिये, दुःख की अवस्था ही गीता ज्ञान के अनुकूल है जो, प्रतिपल जिज्ञासु चित्त प्रदायनी है|

प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन के दुखों को कम करने के लिए, अनंत विषय वस्तुओं का भोग करना चाहता है जिससे, उसके अंदर “मैं” और “मेरा” भाव उत्पन्न हो जाता है और वही स्वार्थ भाव मन को, मोह से जकड़ लेता है जो, मनुष्य को विभिन्न प्रकार के दुखों से ग्रसित करता है लेकिन, भगवद्गीता धारण करने वाले मनुष्य को, सांसारिक विषयों का सार्थक उपयोग करना आ जाता है जिसके, प्रभाव से वह, अपने जीवन को सत्य से आलिंगित कर आनंदमय बना लेता है|

गीता का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

गीता का हमारे जीवन में क्या महत्व हैः What is the importance of Geeta in our life?
Image by Frank Davis from Pixabay

गीता मनुष्य के शरीर को, सही दिशा देने हेतु नियमावली है अर्थात गीता हमें बताती है कि, हम कौन हैं, हमें क्या करना चाहिए, किससे संबंध रखना चाहिए, कौन हमारा मित्र हो सकता है और कौन हमारा शत्रु? और ऐसे न जाने अनेकों प्रश्न, जिनका संबंध मनुष्य के निजी जीवन से है| गीता अध्ययन करने वाले व्यक्ति के जीवन में, सकारात्मकता स्वतः ही आ जाती है परिणामस्वरूप उसका जीवन सार्थकता की और बढ़ने लगता है फिर भले ही उसके, सांसारिक जीवन में कितनी भी विपदाएँ आए किंतु, गीता ज्ञान उसे आंतरिक शांति प्रदान करता है| उदाहरण के तौर पर, यदि किसी के सगे संबंधी की मृत्यु हो जाए तो, निश्चित ही वह दुखों से घिर जाएगा लेकिन, गीता ज्ञान उसे पहले से, ऐसी परिस्थितियों के लिए, तैयार कर देता है जिससे वह, सर्वश्रेष्ठ दुःख मृत्यु को भी, मुस्कुराते हुए बर्दास्त कर सकता है|

संसार में सत्य की स्थापना के लिए, भगवद्गीता अति उपयोगी है| गीता मनुष्य को स्वार्थ से मुक्त कर, परमार्थ की दिशा में मोड़ देती है जिससे, एक साधारण मनुष्य, साहसी बन जाता है और वह सार्वजनिक हितों के लिए, अपना सांसारिक जीवन समर्पित कर देता है| यही मनुष्य की सार्थकता की पहचान है| वस्तुतः वास्तविक आनंद की अनुभूति तभी की जा सकती है जब, मनुष्य ने सही दिशा में संघर्षपूर्ण, जीवन व्यतीत किया हो किंतु, स्वार्थ में फँसे हुए मनुष्य का अंतिम उद्देश्य, भोग करना ही होता है जो, उसके दुखों का सबसे बड़ा कारण बनता है और यही, जीवन को नर्क भी बना देता है इसलिए, गीता ज्ञान का होना अति आवश्यक है|

 

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