सत्य असत्य (Satya asatya)- true faluse facts

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सत्य असत्य (Satya asatya)- true faluse facts in hindi:

इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति सत्य ही सुनना चाहता है लेकिन, प्रत्येक का अपना सच हैं जो, सभी के मानकों पर खरा नहीं उतरता| सभी व्यक्तियों का सांसारिक दृष्टिकोण विभिन्न होता है और उसी के आधार पर वह, अपने सत्य की परिभाषा गढ़ते हैं|

कभी आपने सोचा कि, सामने वाला व्यक्ति अपनी बात पर इतने भरोसे से कैसे टिका हुआ है जबकि, वह सरासर झूठ बोल रहा है| क्या है, मनुष्य की सच्चाई का रहस्य? इसे समझने के लिए, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|

1. सत्य क्या है?
2. असत्य क्या है?
3. सत्य और असत्य में क्या अंतर है?
4. क्या सत्य की जीत होती है?
5. सत्य की शक्ति क्या है?
6. सत्य का जीवन में क्या महत्व है?

सच्चे झूठे तथ्य हिंदी में:true faluse facts in hindi?
Image by Chen from Pixabay

सत्य कोई विषय वस्तु नहीं अपितु, एक भावना है जो, अतीत संबंधित सूचनाओं के आधार पर तय होती है| वस्तुतः सांसारिक पारिस्थितिक तंत्र का उपयोग करके मानव मस्तिष्क को भ्रमित किया जाता है परिणामस्वरूप मनुष्य उस बात को सत्य समझने लगते हैं जो, संसार से ज्ञात हुई हैं और इसी वजह से, दुनिया की वास्तविक सत्यता को हम कभी परख नहीं पाते| मुझे पूरी आशा है कि, नीचे समझाए गए बिंदुओं से आपकी आँखों में पड़ा परदा हट जाएगा और आप सत्य असत्य के भ्रम से बाहर आ जायेंगे तो चलिए सत्य के भ्रमण पर|

सत्य क्या है?

सत्य क्या हैः What is the truth?
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मानवीय धारणाओं के अनुसार सत्य एक विचारधारा है जो, संख्याओं के आधार पर बनायी जाती है अर्थात चीन में चीनियों के द्वारा बोली हुई बात सत्य होंगे तो जापान में जापानियों द्वारा किंतु, वास्तविक सत्य तो वही हो सकता है जो अमिट, अजन्मा है अर्थात, जो किसी भी परिस्थिति में परिवर्तित न किया जा सके जो, सभी के लिए एक समान हो और जिसकी संगत में सारे झूठ मिट जाये और अहंकार से मुक्ति मिलती हो किन्तु, शारीरिक या सामाजिक तल पर जी रहे व्यक्तियों के लिए, सत्य की परिभाषा उनके स्वार्थ के आधार पर तय होती है जैसे, यदि किसी बात को बहुत सारे लोग मानने लगे तो, उसे सत्य घोषित कर दिया जाएगा|

असत्य क्या है?

असत्य क्या हैः what is false?
Image by Vilius Kukanauskas from Pixabay

जिस भांति प्रकाश के अलावा, सब कुछ अंधकार होता है उसी भांति, सत्य के अतिरिक्त शेष, असत्य ही होगा| असत्य को पहचानने की सबसे कारगर विधी यह है कि, उसके साथ चलते हुए, आप बहुत जल्दी हताश हो जाएँगे और आपका जीवन, दुख के भव सागर में डूबने लगेगा और फिर, आपका मन सत्य की खोज में पुनः निकल पड़ेगा क्योंकि, कोई भी मनुष्य सत्य के बिना आनंदित नहीं रह सकता| आपने देखा होगा, हम अपनी ख़ुशी के लिए जो भी कार्य करते हैं अंत में, उसी से हमें दुख होता है क्योंकि, वह सच नहीं था किंतु, हमने अपने पूर्वाग्रह के कारण उसे सच मान लिया|

सत्य और असत्य में क्या अंतर है?

सत्य और असत्य में क्या अंतर हैः What is the difference between truth and false?
Image by Tumisu from Pixabay

वैसे तो दोनों में अनगिनत भेद है किंतु, प्रमुखता से देखा जाए तो, सत्य अनंत है किंतु, झूठ की एक सीमा होती है जिसके, निकट पहुँचते ही वह बेनकाब हो जाता है इसके विपरीत सत्य प्रारंभ में कष्टदायक हो सकता है किन्तु, वह अंततोगत्वा आनंदित करने वाला होता है| वहीं झूठ प्रारंभ में, क्षणभंगुर ख़ुशी बिखेर कर, दुख की खाई में धकेल देता है| सत्य का साथ, हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन, असत्य बहुत सी सुविधाओं के साथ आता है| सत्य निर्वस्त्र है इसलिए, कुरूप प्रतीत होता है लेकिन, असत्य सांसारिक स्वीकार्यता के साथ माया का चोला ओढ़कर आता है| माया अर्थात वह भ्रम, जिसके प्रभाव से आप अपने यथार्थ से अनभिज्ञ हैं|

क्या सत्य की जीत होती है?

क्या सत्य की जीत होती हैः Does truth prevail?
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निसंदेह सत्य पराजित नहीं हो सकता, सत्य ही मनुष्य की आवश्यकता है| सत्य के बिना मानव जीवन संभव नहीं| उदाहरण से समझते हैं| पर्यावरण में उपलब्ध पशु पक्षियों और पेड़ पौधों को हानि पहुँचाने वाली, कई धारणाएँ अलग अलग संप्रदायों में पाई जाती है जिन्हें, लोग सच मानकर कई वर्षों से निभाते चले आ रहे हैं जो, पूरी तरह कालातीत हैं जिनका, भूतकाल में उपयोग रहा होगा लेकिन, आज के बदलते समय में वह निराधार है जिसे, यदि सार्वजनिक सहमति मिल जाए तो, हमारा पारिस्थितिकी तंत्र अव्यवस्थित हो जाएगा और मानव जीवन प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित होगा जिसकी, कुछ झाकियां दिखना शुरू हो चुकी है किंतु, यहाँ विज्ञान अपनी तकनीक से पर्यावरण के हित में, सत्य का पता लगाता रहता है और उसी के आधार पर, निर्णय लिए जाते हैं| असली सत्य तो वही कहलाता है जिससे, सारे जगत को आनंदित किया जा सके| अतः जो मार्ग मनुष्य को उसके मूल स्वाभाव से अवगत करा दे वही परम सत्य है|

सत्य की शक्ति क्या है?

सत्य की शक्ति क्या हैः What is the power of truth?
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सच्चाई की सबसे बड़ी शक्ति है कि, उसे दबाया नहीं जा सकता है| यदि बलपूर्वक प्रयास भी किया गया तो, उसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे| प्रारंभिक तौर पर सत्य के साथ भले ही कम लोग हों किंतु, धीरे धीरे सत्य अपनी जगह बना ही लेता है| सत्य प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि, सत्य में जिया जा सकता है वो भी तब संभव है जब सभी झूट हटाए जा चुके हों और जाग्रत चेतना का केंद्रीकरण हो रहा हो| सत्य चित्त मनुष्य ही सर्व शक्तिमान होता है| जिसके ह्रदय में भगवान अवतरित होते हैं और वही संसार में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है|

सत्य का जीवन में क्या महत्व है?

सत्य का जीवन में क्या महत्व हैः What is the importance of truth in life?
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कुछ लोगों को लग रहा होगा कि, जब झूठ से जीवन बड़ी आसानी से चल सकता है तो, सत्य का दामन क्यों थामा जाए तो, आपको बता दें कि, मनुष्य का जीवन दुख में है या यूँ कहें कि, वह दुखी रूप में ही पैदा हुआ है और उसके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य, स्वयं के दुखों को कम करना है किंतु, यदि वह अज्ञानतावश या अपने स्वार्थ के आधार पर, असत्य का चुनाव करता है तो, निश्चित ही वह और भी दुखों से ग्रसित हो जाएगा| सत्य को धारण करना, मनुष्य की लाचारी नहीं बल्कि, उसकी आवश्यकता है अन्यथा, वह कभी भी अपने दुखों से पूर्णता मुक्त नहीं हो सकेगा|

 

सामान्य मनुष्य समझते हैं कि, सच का रास्ता कठिन है इसीलिए न्यूनतम परिश्रम के साथ, स्वार्थ को आगे रखते हुए, अपनी सहूलियत के अनुसार अपना जीवन चुनते हैं और पूरी ज़िंदगी, संघर्ष करने के बनिस्बत दुखी रहते हैं| वैसे तो, इस भांति के व्यक्ति सभी सांसारिक विषयवस्तुओं का भोग कर रहे होते हैं किंतु, फिर भी उनकी मनोकामना अधूरी रह जाती है|

यदि आप सच की खोज में हैं और अज्ञानतावश झूठ का दामन थाम कर बैठे हैं और निरंतर अपने काम की दिशा से भटक रहे हैं तो, आपके काम में सत्य का अभाव है| आपको पुनः विचार करने की आवश्यकता है| आपको जागना होगा और यह समझना होगा कि, सत्य ही आपको, आपके मार्ग में अडिग रख सकता है किंतु, आप अपने अनुसार जिसे भी सच समझ रहे हैं वह तो, निश्चित ही असत्य है क्योंकि, वह आपका सत्य नहीं बल्कि, दुनिया का सत्य है जो, आपके मन मस्तिष्क में धीरे धीरे करके अपना स्थान बना चुका है| आपको स्वयं के सच तक पहुँचने के लिए, अपने सभी बंधन काटने पड़ते हैं और पूरी जागरूकता से निरर्थक कार्यों और सम्बन्धों को, अपने जीवन से हटाना पड़ता है तभी, आप अपने सत्य तक पहुँच सकेंगे|

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