अपराधी (Apradhi explained)

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अपराधी (Apradhi explained in hindi):

अपराधी को समाज के लिए, अभिशाप माना जाता है| प्रत्येक देश अपने संविधान के अनुसार, अपराधों की परिभाषा निर्धारित करता है जहाँ, सभी देशों की एक विचारधारा होती है जिसके तहत वह व्यक्ति या जीव जन्तुओं को श्रेष्ठ मानकर अपना संविधान बनाते हैं और उनका उल्लंघन करने पर, कोई भी व्यक्ति अपराधी की श्रेणी में आ जाता है| अपराधी बनते ही कुछ लोग, अपना पूरा जीवन हीन भावना में बिता देते हैं किंतु, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो, अपनी आपराधिक छवि को बल देने के लिए, और भी अधिक अपराधों मे संलग्न हो जाते हैं| कठोर दंड व्यवस्था होने के बनिस्बत, अपराधों की श्रेणियाँ अति भयावह होती जा रही है जिन्हें, करुणा से रोक पाना असंभव है| यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह है कि, वास्तविक अपराध किसे कहते हैं और असली अपराधी कौन है?

हमें यह देखना होगा कहीं, मानव समाज सत्यता से अनभिज्ञ तो नहीं, क्या कोई ऐसा रहस्य है जिसके, पता चलते ही दुनिया को अपराधों से मुक्त किया जा सके या वास्तविक अपराधी की पहचान कर, अपराध की जड़ को ही मिटाया जा सके? इसे समझने के लिए हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|

  1. अपराधी का मतलब क्या होता है?
  2. अपराध का अर्थ क्या है?
  3. अपराध कैसे घटित होता है?
  4. अपराधी क्यों बनते हैं?
  5. अपराधी को सजा कौन देता है?
  6. अपराधी कैसे सुधर सकते हैं?
अपराधों की परिभाषा: definition of crimes?
Image by Alexa from Pixabay

आप विचार कीजिये, यदि किसी बच्चे को बचपन से ही इंसानों के साथ रहने के संस्कार न दिए जाएं तो उसका व्यवहार कैसा होगा? उसी प्रकार यदि बचपन से ही, अनुचित शिक्षा दे दी जाए तो, परिणाम भयावह हो सकते हैं| क्या बिना अच्छी शिक्षा के सभी मनुष्य, प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर शांति से रह सकते हैं? जी नहीं, मनुष्य जानवर नहीं है जिसे, प्रकृति स्वतः ही शिक्षित करेगी लेकिन, फिर बात आती है कि, कौन सी शिक्षा इतनी सक्षम है कि, मनुष्य अपने जीवन महत्व को समझ सके ताकि, आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके|

अपराधी का मतलब क्या होता है?

अपराधी का मतलब क्या होता हैः What does criminal mean?
Image by 3D Animation Production Company from Pixabay

सभी देशों ने अपनी मान्यताओं के अनुसार, संवैधानिक नियम बनाए हैं और उन्हीं नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को, अपराधी माना जाता है हालाँकि, अधिकतर देशों में विशेष समुदाय के मनुष्य को, प्राथमिकता देते हुए ही, नियम क़ानून में बनाए गए हैं जहाँ, कुछ नैतिक मूल्यों को भी प्राथमिकता दी जाती है| यहाँ यदि वास्तविकता से अपराधी की पहचान करनी हो तो, प्रत्येक वह व्यक्ति अपराधी होगा जिसने, मानव धर्म का पालन न किया हो अर्थात जिसने, अपने जन्म को ज्ञान के अभाव में, व्यर्थ गंवा दिया उसे ही, अपराधी कहना उचित है|

अपराध का अर्थ क्या है?

अपराध का अर्थ क्या हैः What is the meaning of crime?
Image by aoyon rahman from Pixabay

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के अनुसार, अपराध की परिभाषा तय की है जहाँ, वह पशुओं के शोषण को अपराध नहीं मानता किंतु, स्वयं के स्वार्थ को चोट लगे तो, अपराध घटित हुआ माना जाएगा अर्थात् मानवीय स्वार्थों की पूर्ति के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन ही अपराध है| उदाहरण से समझें तो, यदि किसी इंसान को आप चोट पहुँचाते हैं तो, इसे अपराध कहा जाएगा लेकिन, यदि आप किसी कुत्ते, बकरी, बिल्ली या अन्य किसी जानवर को छति पहुँचाते हो तो, इसे अपराध नहीं कहा जाएगा हालाँकि, कुछ देश विलुप्त हो रही प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए, अपने कानूनों में परिवर्तन करने लगे हैं| बृहद रूप में देखें तो, अज्ञान ही अपराध है अर्थात पशुओं की भांति केवल, अपनी प्रजाति के लिए जीवन जीना ही अपराध है| बिना आत्मज्ञान के मानवीय चेतना का विकास नहीं किया जा सकता है और जब तक मनुष्य, प्रकृति में अपने अस्तित्व की सही परिभाषा न समझ ले, निरंतर अपराध घटते रहेंगे| जिन पर अंकुश लगाना असंभव है|

अपराध कैसे घटित होता है?

अपराध कैसे घटित होता हैः How the crime occurs?
Image by Gerd Altmann from Pixabay

कुछ अपराध संयोग पर आधारित होते हैं किंतु, अधिकतर अपराधों का मूल कारण मनुष्य का अहंकार है जहाँ, प्रत्येक मनुष्य अपनी विचारधारा के अनुसार, अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए, दुर्बल पक्षों के साथ अनैतिक कृत्य को अंजाम देता है| उदाहरण से देखें तो, चोर को चोरी करना अपराध नहीं लगता लेकिन, जिसके घर चोरी हुई है उसे, वह दुष्कर्म ही कहेगा| ऐसा क्या हुआ कि, दोनों व्यक्तियों के विचारों में अपराध की अलग अलग परिभाषाएँ है? चोर, चोरी करने को अपना अधिकार समझ रहा है, न कि अपराध| यहाँ मनुष्य का वही अंधकार है जो, उसके जन्म के साथ ही उसे मिलता है| जो उसे पीड़ित की भवना से ग्रसित कर देता है और फिर अपने स्वार्थ के लिए, अधिग्रहण अनुचित नहीं लगता|

अपराधी क्यों बनते हैं?

अपराधी क्यों बनते हैं: Why become criminals?
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मनुष्य की अधूरी शिक्षा ही, अपराध का मुख्य कारण है जहाँ, उसे बाहरी विषय वस्तुओं की जानकारी तो दे दी जाती है किंतु, वह कौन हैं? यह कोई नहीं बता पता और वह अतीत की जानकारी के आधार पर, अपने आस पास के वातावरण से, कल्पनारूपी व्यक्तित्व तैयार कर लेता है परिणामस्वरूप, सांसारिक भोग के लिए, वह अपने जीवन को दाँव पर लगाने से भी पीछे नहीं हटता| लगभग सभी देशों में, आर्थिक विकास को महत्वपूर्ण समझते हुए, मानव समाज में धन संपत्ति अर्जित करने को प्राथमिकता दी जाती है जहाँ, कुछ लोग अपनी बुद्धि और विज्ञान का उपयोग करके, आवश्यकता से अधिक अर्जन कर लेते हैं लेकिन, सीमित संसाधनों के कारण, बहुत सी जनसंख्या मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रह जाती है और फिर क्रांति के नाम पर, कुछ लोग अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए, छलपूर्वक अतिक्रमण का मार्ग अपनाते हैं जो, उन्हें अपराधी बना देता है| यदि बचपन से ही, मनुष्य को अपनी वास्तविकता का ज्ञान हो जाए तो, अपराधियों पर निश्चित ही नियंत्रण किया जा सकेगा|

अपराधी कैसे सुधर सकते हैं?

अपराधी कैसे सुधर सकते हैं: How criminals can reform?
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मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो, बचपन से ही दुख में पैदा होता है जहाँ, वह स्वयं को अपूर्ण मानकर रोने लगता है| धीरे धीरे उसकी आयु के साथ अपूर्णता का भाव भी बढ़ता जाता है| पहले जहाँ, वह केवल अपने पेट भरने से या कुछ खिलौने मिलने से शांत हो जाया करता था आज, उसकी मनोकामनाएं बढ़ चुकी है जिन्हें, पूरा करने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है और उसकी यही वासना संवैधानिक उल्लंघन को बढ़ावा दे रही है| वास्तविक अध्यात्म ही, मनुष्य को शारीरिक तल से ऊपर उठने में सहायता प्रदान कर सकता है जिससे मनुष्य वास्तविक मनुष्यता का पाठ सीखता है क्योंकि, शारीरिक वृत्तियों में फँसे रहने वाले व्यक्ति, अहंकार से ग्रसित होते हैं जिससे, आपसी समन्वय बिगड़ जाता है फलस्वरूप, मनुष्य में आपराधिक प्रवृत्ति का विकास होने लगता है|

मनुष्य को जो सांसारिक पहचान मिली है, वह पूर्णता असत्य के नींव पर खड़ी है| आपने अनुभव किया होगा, बचपन में आपको अपने दोस्त की छोटी से छोटी बात भी महत्वपूर्ण लगती थी किंतु, आज वही बात आपके लिए, निरर्थक हो चुकी है| क्या उस समय आप झूठ थे या आज झूठ है? यह एक पहेली है क्योंकि, आने वाले समय में वर्तमान की उपयोगिता समाप्त हो जाएगी| यदि आप अपनी यथास्थिति की सत्यता से अवगत होना चाहते हैं तो, आपको मनुष्य के वास्तविक धर्म को जानना होगा जिसे, आत्मज्ञान कहते हैं| यदि आप सांसारिक विलासिताओं से संतुष्टि प्राप्त करना चाहते हैं तो, आपको निराशा होना होगा क्योंकि, इस संसार में ऐसी कोई विषय वस्तु उपलब्ध नहीं जो, किसी मनुष्य की परम तृप्ति कर सके है इसलिए, सच्चे संघर्ष को पहचानना होगा जिसके लिए, आपको मानव जन्म मिला है तभी, संसार में प्रेम की गंगा का प्रवाह बढ़ेगा और दूषित वातावरण, पुनः शुद्धता की ओर अग्रसर होगा और फिर अपराधों पर अंकुश स्वतः ही लगने लगेगा|

 

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