विवाह (Vivah)- पति पत्नी का जीवन

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विवाह (Vivah)- पति पत्नी का जीवन (Dampatya jeevan facts in hindi):

पति पत्नी के रिश्ते को विवाह कहा जाता है| विवाह की परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है| अलग अलग संप्रदायों में, विवाह को लेकर कई तरह की मान्यताएँ बनायी गई है| साथ ही साथ पूरे विश्व में, विवाह को मान्यता देने के लिए क़ानून बनाए गए हैं जो, कुछ हद तक पति पत्नी के बीच, रिश्ते बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन, इसके बावजूद भी आज के बदलते युग में, पति पत्नी के बीच तकरार बढ़ती जा रही है| जहाँ पहले रिश्तों के बीच, मर्यादाएं हुआ करती थी, सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव ने विवाह के महत्व को निरर्थक कर दिया है| आज ज़्यादातर पति पत्नी, विवाह के कुछ वर्षों के अंदर ही, तनाव महसूस करने लगते हैं| जहाँ पहले एक दूसरे की आवाज़ सुनने में, संगीत की मधुरता का एहसास होता था, अब वही आवाज़, करकसा ध्वनि की तरह लग रही होती है| तो ऐसा क्या है? जो, इतने कम वक़्त में ही, हमारा अपने जीवनसाथी से मोह ख़त्म हो जाता है| इसकी वजह जानने से पहले, हमें कुछ प्रश्नों की ओर चलना होगा|
1. पत्नी का अर्थ क्या होता है?
2. पत्नी का धर्म क्या है?
3. पत्नी का महत्व क्या है?
4. जीवनसाथी का महत्व क्या है?
5. पति का अर्थ क्या होता है?
6. पति धर्म क्या है?
7. पति का महत्व क्या है?
8. पति की इज्जत कैसे होती है?
9. पति की जिम्मेदारी क्या है?
10. पति-पत्नी का प्यार कैसा होता है?
11. पति-पत्नी का जीवन कैसा होता है?
12. पति-पत्नी का रिश्ता क्या कहलाता है?
13. पति पत्नी की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?

पत्नी का अर्थ क्या होता है?

पत्नी का अर्थ क्या होता है?
Image by Mohit Barthunia from Pixabay

पत्नी एक द्विपक्षीय रिश्ता है| जिसका संबंध स्वयं से न होकर, विपरीतलिंगी से होता है| पत्नी का जन्म विवाह के पश्चात होता है| आज तक आपने पत्नी के कई अर्थ समझे होंगे लेकिन, यदि इसे संयुक्त तौर पर परिभाषित किया जाए तो, पत्नी वह स्त्री रूपी मानव शरीर है जिसने, सामाजिक मान्यताओं के अंतर्गत, सन्तानोत्पत्ति के उद्देश्य से, पुरुष रूपी शरीर से संबंध स्थापित किया है| यहाँ शरीर का आशय तन और मन दोनों से लिया गया है|

पत्नी का धर्म क्या है?

विवाह (Vivah)- पति पत्नी का जीवन (Dampatya jeevan in hindi):
Image by Ashlesh Kshatri from Pixabay

पत्नी का सबसे प्रथम कर्तव्य, अपने पति को अंधकार से उजाले की तरफ़ ले जाना है अर्थात, अपने पति के दुखों को, अपने केंद्रित परिश्रम से कम करना है| उदाहरण के तौर पर समझें तो, पति यदि किसी तरह के दुर्व्यसन में लिप्त है तो, पत्नी को चाहिए कि, वह अपने पति की बाहर आने में मदद करें| दूसरे उदाहरण से समझें तो, यदि पति के आर्थिक हालात कमज़ोर है तो, पत्नी को चाहिए कि, वह अपने पति का आर्थिक स्तर पर साथ दे और अपने पति के साथ मिलकर, मजबूरियों से भरी ज़िंदगी से, ऊपर उठने का प्रयास करे|

पत्नी का महत्व क्या है?

पत्नी का महत्व क्या है?
Image by Somnath Dutta from Pixabay

पति के जीवन में, पत्नी का सर्वाधिक महत्व होता है लेकिन, वह तभी है जब, पत्नी गुरु की भूमिका निभा रही हो| पत्नी वह जीवनसाथी है जिसे, पति के जीवन के बंधनों को काटते हुए, आनंद तक पहुँचाने के लिए, माध्यम चुना गया है लेकिन, यदि पत्नी के साथ रहते हुए, पति और भी बंधनों में उलझता है तो, पत्नी का साथ महत्वहीन हो जाता है और पति को फिर, किसी और जीवन साथी की आवश्यकता महसूस होने लगती है|

जीवनसाथी का महत्व क्या है?

जीवनसाथी का महत्व क्या है?
Image by Stefan Keller from Pixabay

आज तक हमें जीवनसाथी का संकुचित अर्थ बताया गया है| जिसके अंतर्गत, दाम्पत्य जीवन में साथ देने वाले व्यक्ति को, जीवन साथी कहा जाता है लेकिन, क्या वास्तव में जीवनसाथी की परिभाषा, शारीरिक रिश्तों तक ही सीमित है या, इससे परे कोई और रहस्य है जिसे, अनसुना करने का खामियाजा, आज कई विवाहित जोड़े भुगत रहे हैं|

दोस्तों जीवनसाथी वह व्यक्ति होता है जो, माया रूपी संसार के द्वारा दिए गए दुखों से, लड़ने में जीवन भर साथ देता है| इसका संबंध पति पत्नी के अलावा किसी और से भी हो सकता है| जीवनसाथी के रूप में इस भौतिक दुनिया के, किसी भी तत्व को चुना जा सकता है लेकिन, सभी का मूलभूत आधार केवल, बंधनों से मुक्ति ही है| अर्थात ऐसा कोई भी, जिसके साथ होने से, जीवन में किसी भी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की लालसा न रहे, वही वास्तव में जीवन साथी कहलाने योग्य है|

पति का अर्थ क्या होता है?

पति का अर्थ क्या होता है?
Image by Hemant Parmar from Pixabay

सभी संप्रदायों में, पुरुषों का पति के रूप में, अलग अलग अर्थ बताया गया है लेकिन, सभी के मूल में एक ही बात स्थापित है| अर्थात वह पुरुष रूपी शरीर जिसने, सामाजिक रस्मों के अंतर्गत, स्त्री रूपी शरीर से, संतान उत्पत्ति के उद्देश्य हेतु संबंध स्थापित किए हैं| पति और पत्नी की शारीरिक तौर पर, भले ही उम्र में अंतर हो सकता है लेकिन, वास्तव में पति पत्नी का जन्म एक ही दिन होता है क्योंकि, विवाह के पूर्व दोनों केवल स्त्री और पुरुष होते हैं और नया बंधन, उन्हें नई पहचान देता है तो, यह कहना उचित होगा कि, दोनों हमउम्र है इसलिए, पति की श्रेष्ठता का भाव ख़त्म हो जाता है| जिसके फलस्वरूप, रिश्ते में अहंकार का भाव भी नष्ट हो जाता है और पति पत्नी के बीच, सच्चे प्रेम की मिठास घुलने लगती है|

पति धर्म क्या है?

पति धर्म क्या है?
Image by Rinku Jareda from Pixabay

पति का भी अपनी पत्नी की तरह, केवल एक ही धर्म है कि, वह अपनी बुद्धि और विवेक से, उलझे हुए जीवन में अपनी पत्नी को, मुक्ति के मार्ग की ओर प्रशस्त करें| अर्थात, पत्नी के दुखों को धीरे धीरे कम करने का प्रयास करें| इसके अतिरिक्त बहुत सी बातें, पति पत्नियों पर लागू होती है लेकिन, यह बात उन सभी से श्रेष्ठ है क्योंकि, इसका उद्देश्य आपके जीवन को, सच्चे आनंद से अवगत कराना है|

पति का महत्व क्या है?

पति का महत्व क्या है?
Image by NAVEEN SHARMA from Pixabay

हम न जोड़े में पैदा होते हैं और न जोड़े में मरते हैं इसलिए, एक स्त्री के जीवन में, किसी पुरुष की आवश्यकता नहीं होती लेकिन, एक पत्नी के जीवन में, पति का विशेष महत्व होता है| पति अपनी पत्नी की ढाल होता है जो, उसे इस माया रूपी संसार में, पूरे बोध के साथ, ऊपर उठने में मदद करता है| अर्थात पति वह गुरु है, जिसके होने मात्र से, पत्नी के जीवन का अंधकार हटने लगे, इसके विपरीत, यदि पति की संगत में, पत्नी का जीवन दुख में है तो, पति महत्वहीन हो जाता है|

पति की इज्जत कैसे होती है?

पति की इज्जत कैसे होती है?
Image by Tumisu from Pixabay

पति को सिर्फ़ एक ही व्यक्ति सम्मान दे सकता है और वो है, उसकी पत्नी क्योंकि, वह केवल अपनी पत्नी के लिए पति है न कि, समाज के लिए| इसलिए एक पुरुष, अपनी व्यक्तिगत इज़्ज़त के लिए, स्वयं ज़िम्मेदार होता है लेकिन, पति का सम्मान तभी होगा जब, वह अपनी पत्नी के दुखों को कम करने में क़ामयाब होगा| जब तक पत्नी के दिल में पति के प्रति, प्रेमभाव नहीं है तब तक, पति की इज़्ज़त की कल्पना भी नहीं की जा सकती| इसलिए पतियों को चाहिए कि, वह पूरे पुरुषार्थ के साथ, अंधकार रूपी संसार में, अपनी पत्नी का सच्चा मार्गदर्शन करें जिससे, पत्नी का दिल अपने पति के लिए, प्रेम के साथ साथ सम्मान से भी भर सके|

पति की जिम्मेदारी क्या है?

पति की जिम्मेदारी क्या है?
Image by Jill Wellington from Pixabay

सामाजिक तौर पर पति की कई जिम्मेदारियां हो सकती है लेकिन, सभी का संबंध सीधे तौर पर, पत्नी के बंधन काटने से होता है| उदाहरण के तौर पर, यदि पत्नी किसी तरह के मानसिक तनाव से गुज़र रही है तो, पति की ज़िम्मेदारी अपने सभी काम को किनारे रखकर, अपने पत्नी के तनाव का कारण जानने की है| दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि, पत्नी के जीवन से जुड़ी हुई किसी भी समस्या की जवाबदारी, पति की ही होती है|

पति-पत्नी का प्यार कैसा होता है?

पति-पत्नी का प्यार कैसा होता ?
Image by Nghia Le from Pixabay

प्रेम, जिसे मनुष्यों के बीच सबसे ऊँचा दर्जा दिया गया है लेकिन, इसके मायने सभी के लिए अलग अलग होते हैं| पति पत्नी के बीच प्यार का आधार, सामाजिक और शारीरिक होता है, या यूँ कहें कि, मनुष्य का प्रेम भौतिकवाद तक ही सीमित होता है| प्रेम की श्रेष्टता को समझने के लिए, अपने अहंकार को मिटाना अनिवार्य है| यदि आप अपने अतीत से जुड़े हुए मानदंडों को प्रेम समझ रहे हैं तो, वह आपकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल है क्योंकि, प्रेम यदि शारीरिक तल से किया जाता है तो, वक़्त की धूल उसे धूमिल कर देती है| अर्थात, यदि देह संबंध को ही प्रेम माना गया है तो, शरीर के ढलते ही, आपका प्रेम भी ढलने लगेगा| पति और पत्नी को चाहिए कि, रिश्ता बनाने से पहले उसका उचित आधार तय करें, तभी प्रेम अमरता के सागर में गोते लगा सकता है|

पति-पत्नी का जीवन कैसा होता है?

पति-पत्नी का जीवन कैसा होता है?
Image by Jatinder Jeetu from Pixabay

यहाँ बात यदि दो इंसानों की, की जाए तो, उचित होगा क्योंकि, दाम्पत्य जीवन की चाहत पर, दो मनुष्यों का मिलन होना ही, विवाह नहीं कहलाता| सामाजिक दृष्टिकोण से तो, पति पत्नी जीवन भर कई मान्यताओं का पालन करते हैं लेकिन, फिर भी दोनों का जीवन, आनंद से कोसों दूर होता है| कई पत्नियां तो सारी ज़िंदगी, अपने सभी संस्कारों का पालन करती है लेकिन, उसके बावजूद, उन्हें पति से वह स्नेह प्राप्त नहीं होता जिसकी, उन्होंने कल्पना की थी| वहीं दूसरी ओर, कई पतियों का हाल इतना बुरा है कि, बाहरी तनाव से ज़्यादा वह, अपने पत्नी से पीड़ित होते हैं| कुछ ऐसे भी जोड़े होंगे जो, अभी गर्म कढ़ाई में बैठे हुए मेंढक की तरह, भविष्य में आने वाली समस्याओं से बेख़बर, हल्की गर्मी में मजे का एहसास कर रहे हैं| दोस्तों इस लेख का उद्देश्य, पति पत्नी के जीवन में कड़वाहट की पहचान करना है ताकि, विष को अमृत में बदला जा सके|

पति-पत्नी का रिश्ता क्या कहलाता है?

पति-पत्नी का रिश्ता क्या कहलाता है?
Image by Chu Viết Đôn from Pixabay

दुनिया की नज़रों में विवाहित जीवन को श्रेष्टता के भाव से देखा जाता है लेकिन, समाज के दृष्टिकोण से पति पत्नी का रिश्ता, केवल संतान उत्पत्ति के लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए बनाया जाता है| पूरे विश्व में चल रही अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए, एक तंत्र का गठन किया गया है| जिसकी प्राथमिक सीढ़ी पर, समाज को आधार बनाया गया है| जहाँ पति पत्नी को प्रेम का पाठ पढ़ाने के लिए, कई ग्रन्थ लिखे गए हैं ताकि, मनुष्य की जनसंख्या निरंतर बढ़ती रहे लेकिन, यह तो सिर्फ़ एक पक्ष का नज़रिया था| क्या वही मनसा, पति पत्नियों की भी होनी चाहिए|

जी नहीं, दरअसल आंतरिक अपूर्णता को मिटाने के लिए, दो व्यक्तियों ने अपने जीवन में, परस्पर संबंध स्थापित किए हैं| जिसका संयोजित लक्ष्य, आनंद प्राप्ति से है लेकिन, आनंद की जो परिभाषा एक साज़िश के तहत दी गई है जिसके अंतर्गत, संतानोत्पत्ति ही प्रेम है| उसका संबंध केवल बाहरी स्तर तक होना चाहिए| आंतरिक दृष्टिकोण से, पति पत्नी को एक ऐसा रिश्ता स्थापित करना चाहिए, जिसके बनते ही, दुनिया की किसी भी विषय वस्तु की लालसा न बचे| दोनों का साथ एक दूसरे के लिए, मधुर संगीत की तरह प्रतीत होने लगे| तभी यह कहा जा सकता है कि, ये दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं|

पति पत्नी की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?

पति पत्नी की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
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वैसे तो पति पत्नी का रिश्ता एक बंधन होता है लेकिन, उस बंधन का उद्देश्य ही, सभी बंधनों से मुक्ति है| पति पत्नी के जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती है जिससे, दोनों के रिश्ते कमज़ोर हो सकते हैं लेकिन, यदि विवाह के दौरान ही, अपना जीवनसाथी पूरी बुद्धिमत्ता से चुना जाए तो, इस स्थिति से बचा जा सकता है| अब बात आती है कि, कैसा जीवनसाथी चुने जो, हमारे जीवन को आनंदित कर दे| तो उसका एक ही उत्तर है| और वह है, निष्काम व्यक्ति जो, बिना किसी लालसा के, आपसे संबंध स्थापित करने को तैयार है जिसके, चित्त में अद्भुत शांति है जो, सभी तरह की अच्छाई और बुराई से ऊपर है| जिसने दुनिया में भेद करना बंद कर दिया है| वही सही मायने में जीवनसाथी बनाने योग्य है|

दोस्तों मुझे पूरी आशा है कि, उपरोक्त बिंदुओं से पति पत्नी के रिश्ते की गहराई को, आप महसूस कर पा रहे होंगे| अंत में एक विशेष बात के साथ, इस लेख को विराम देते हैं कि, विवाह तभी किया जाना चाहिए जब, आपके जीवन में अपूर्णता का भाव अधिक हो लेकिन, एक आदर्श विवाह तब सम्पन्न होगा जब, विवाह के पश्चात दोनों एक दूसरे के साथ पूर्ण महसूस करने लगें|

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